“1968 के विमान हादसे में लापता उत्तराखंड के जवान को मिली अंतिम विदाई”

1968 के विमान हादसे , चमोली जिले के कोलपुड़ी गांव के निवासी शहीद नारायण सिंह का गुरुवार को उनके पैतृक घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया।

1968 के विमान हादसे ,थराली (चमोली): शहीद नारायण सिंह को दी गई अंतिम विदाई

1968 के विमान हादसे , चमोली जिले के कोलपुड़ी गांव के निवासी शहीद नारायण सिंह का गुरुवार को उनके पैतृक घाट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के भतीजे जयवीर सिंह और सुजान सिंह ने उन्हें मुखाग्नि दी। यह एक भावुक क्षण था, जिसमें परिवार, मित्र और स्थानीय लोग शामिल हुए, जिन्होंने अपनी नम आंखों से उन्हें विदाई दी।

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1968 का विमान हादसा

नारायण सिंह बिष्ट 1968 में हिमाचल प्रदेश के रोहतांग दर्रे की पहाड़ियों में हुए एक विमान हादसे में लापता हो गए थे। इस हादसे में कुल 102 लोग लापता हो गए थे, जिसमें नारायण सिंह भी शामिल थे। उनके पार्थिव शरीर के अवशेष को बुधवार दोपहर देहरादून से विशेष सेना विमान के माध्यम से गौचर हवाई पट्टी लाया गया।

अंतिम यात्रा

गौचर हवाई पट्टी पर शहीद के पार्थिव शरीर का स्वागत किया गया, जहां स्थानीय प्रशासन और रुद्रप्रयाग से आई सेना की टुकड़ी ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद पार्थिव शरीर को गुरुवार सुबह कोलपुड़ी गांव पहुंचाया गया। शहीद नारायण सिंह का अंतिम दर्शन करने के लिए गांव में लोगों की भीड़ जुट गई।

शहीद के पार्थिव अवशेष को उनके पैतृक घाट पर ले जाया गया, जहां पूरे सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई। ग्राम पंचायत कोलपुड़ी के प्रधान जयबीर सिंह बिष्ट ने बताया कि नारायण सिंह का विवाह वर्ष 1962 में बसंती देवी के साथ हुआ था। सेवाकाल के दौरान, नारायण सिंह का गांव आना साल में केवल एक बार होता था, लेकिन उनकी यादें हमेशा जीवित रहीं।

शहीद का परिवार

नारायण सिंह के परिवार में उनकी पत्नी और अन्य सदस्य हैं, जो इस दुखद क्षण को सहन कर रहे हैं। उनके भतीजे कुंवर सिंह बिष्ट ने बताया कि उन्हें दूरभाष पर पार्थिव शरीर के अवशेष रुद्रप्रयाग स्थित रेजीमेंट पहुंचाए जाने की जानकारी मिली थी। यह सुनकर परिवार में शोक का माहौल बन गया, लेकिन साथ ही गर्व भी था कि उनका परिवार देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिक का हिस्सा है।

समाज में प्रभाव

शहीद नारायण सिंह का बलिदान न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव और समाज के लिए गर्व का विषय है। उनके साहस और बलिदान की कहानी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी। इस प्रकार के बलिदानों के लिए समाज हमेशा कृतज्ञ रहेगा और ऐसे शहीदों को हमेशा याद रखा जाएगा।

नारायण सिंह के अंतिम संस्कार में शामिल होने वाले सभी लोगों ने उनके प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की, और उनकी स्मृति को अमर रखने का वचन दिया। उनके योगदान और बलिदान को न कभी भुलाया जाएगा, न कभी मिटाया जाएगा।

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