Uttarakhand: जोशीमठ में आपदा प्रभावितों के लिए राहत, अब कर सकेंगे भवनों की मरम्मत

Uttarakhand के जोशीमठ में पिछले कुछ महीनों से भूधंसाव (land subsidence) के कारण एक भयावह स्थिति बन गई थी। इस संकट से प्रभावितों के लिए अब राहत की खबर है।

Uttarakhand के जोशीमठ में पिछले कुछ महीनों से भूधंसाव (land subsidence) के कारण एक भयावह स्थिति बन गई थी। इस संकट से प्रभावितों के लिए अब राहत की खबर है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि अब जो भवन “यलो” और “ग्रीन” जोन में आते हैं, उनकी मरम्मत का काम शुरू किया जा सकता है। यह निर्णय जोशीमठ के भूधंसाव से प्रभावित लाखों लोगों के लिए राहत लेकर आया है, जिनके घरों में अब तक कोई निर्माण या मरम्मत कार्य नहीं हो सका था।

जोशीमठ में भूधंसाव का संकट और उसकी वजहें

जोशीमठ, जो उत्तराखंड का एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल है, पिछले कुछ समय से भूधंसाव के संकट से जूझ रहा है। गत वर्ष से ही नगर के कई हिस्सों में जमीन धंसने की समस्या शुरू हुई थी, जिससे कई भवनों में दरारें पड़ गईं और उनकी संरचनाएं कमजोर हो गईं। इस भूधंसाव का मुख्य कारण अत्यधिक निर्माण, जलवायु परिवर्तन, और अधिक पानी का जलप्रवाह बताया जा रहा है। इसके बाद से राज्य सरकार ने जोशीमठ में कुछ क्षेत्रों को “यलो” और “ग्रीन” जोन में बांट दिया था, और वहां के भवनों पर मरम्मत व निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी थी।

यलो और ग्रीन जोन: भवनों की स्थिति

जोशीमठ के भूधंसाव प्रभावित क्षेत्रों को दो श्रेणियों में बांटा गया है—”यलो” जोन और “ग्रीन” जोन।

  1. यलो जोन: इसमें ऐसे भवन शामिल हैं जो आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हैं, लेकिन उनकी स्थिति गंभीर नहीं मानी जाती। इस श्रेणी में कुल 442 भवनों को शामिल किया गया है। ये भवन अब मरम्मत के योग्य माने गए हैं, जिससे निवासियों को राहत मिली है।
  2. ग्रीन जोन: इस श्रेणी में ऐसे भवन हैं जिनकी संरचना सुरक्षित है और जो भूधंसाव से ज्यादा प्रभावित नहीं हुए हैं। इस जोन में कुल 280 भवनों को शामिल किया गया है, और इन भवनों में भी मरम्मत कार्य की अनुमति मिल गई है।

इससे पहले, इन क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के निर्माण या मरम्मत कार्य पर पूरी तरह से रोक थी, जिसके कारण प्रभावित लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा था।

मुआवजे की समस्या और वर्तमान स्थिति

जोशीमठ के प्रभावितों को मुआवजे के रूप में राहत प्रदान करने की दिशा में राज्य सरकार ने कई घोषणाएं की थीं, लेकिन मुआवजे की राशि अभी तक उन तक नहीं पहुंची है। इससे बड़ी संख्या में लोग अपने घरों की मरम्मत नहीं कर पा रहे थे और उन्हें अस्थायी आश्रय पर निर्भर रहना पड़ रहा था।

अभी भी जोशीमठ में कई परिवार मुआवजा न मिलने के कारण अपने घरों में रह रहे हैं, जो दरारों से भरे हुए हैं और किसी भी समय गिर सकते हैं। इसके बावजूद, सरकार द्वारा भवनों की मरम्मत की अनुमति देने से प्रभावित लोग कुछ राहत महसूस कर रहे हैं और अब वे अपने घरों में सुधार करने के लिए कदम उठा सकते हैं।

Uttarakhand राज्य सरकार की योजना और भविष्य की दिशा

Uttarakhand राज्य सरकार ने भवनों की मरम्मत की अनुमति देने के साथ ही यह सुनिश्चित करने की योजना बनाई है कि मरम्मत के दौरान भवनों की संरचनाओं की सुरक्षा और स्थिरता को ध्यान में रखा जाए। इसके लिए विशेषज्ञों की एक समिति बनाई गई है, जो भवनों की मरम्मत की प्रक्रिया की निगरानी करेगी।

Uttarakhand सरकार का उद्देश्य यह है कि जो लोग इस संकट के कारण अपने घरों में सुरक्षित रूप से नहीं रह पा रहे थे, उन्हें अब अपनी सुरक्षित जगहों पर लौटने का अवसर मिले। हालांकि, मुआवजे की प्रक्रिया को लेकर और अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है, ताकि प्रभावित लोग पूरी तरह से पुनर्वासित हो सकें।

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Uttarakhand जोशीमठ में भूधंसाव के कारण उत्पन्न संकट के बीच राज्य सरकार ने यलो और ग्रीन जोन के भवनों की मरम्मत की अनुमति देकर प्रभावितों के लिए राहत की खबर दी है। यह कदम न केवल भवनों की सुरक्षा और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, बल्कि यह प्रभावित लोगों को उनके घरों में वापस लौटने का एक अवसर भी प्रदान करता है। हालांकि, मुआवजे की प्रक्रिया पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि लोग पूरी तरह से इस संकट से उबर सकें और उनका पुनर्वास हो सके।

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