केरल पर भारी पड़ा यूपी का सुपर मॉडल, जानें कैसे कोरोना पर बदली तस्वीर
नई दिल्ली. देश में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave) का असर अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हुआ है कि तीसरी लहर (Third wave) की आहट सुनाई देने लगी है. दूसरी लहर के दौरान जिन राज्यों ने कोरोना (Corona) पर काबू पा लिया था, वहां एक बार फिर संक्रमण की रफ्तार तेज हो गई है. अगर ये सवाल किया जाए कि कौन सा राज्य कोविड के खिलाफ सबसे सफल मॉडल के रूप में देखा जा सकता है तो कुछ दिन पहले तक केरल (kerala) को सबसे बेहतर माना जा सकता था. लेकिन केरल में जिस तरह से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं उसे देखने के बाद लगता है कि केरल ने कहीं न कही बड़ी लापरवाही बरती है. वहीं दूसरी तरह कोरोना की दूसरी लहर के दौरान सबसे खराब स्थिति से गुजरे उत्तर प्रदेश ने काफी हद तक कोरोना पर काबू पा लिया है.
आइए दोनों राज्यों की स्थिति की तुलना करते हैं. 3.5 करोड़ की आबादी वाले केरल में 25 अगस्त को 31,445 नए मामले दर्ज किए गए, जो देश में दर्ज किए गए कुल मामलों का सबसे बड़ा हिस्सा है. वहीं 24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में इसी अवधि के दौरान सिर्फ 22 मामले दर्ज किए गए. दो दिन पहले उत्तर प्रदेश में सिर्फ 7 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आए थे. कोरोना से होने वाली मौत पर नजर दौड़ाएं तो 25 अगस्त को केरल में 215 लोगों की कोरोना से मौत हुई थी जबकि उत्तर प्रदेश में केवल 2 मौत रिकॉर्ड की गई है. हाल के दिनों में उत्तर प्रदेश से किसी की मौत की खबर नहीं है. उत्तर प्रदेश में अभी केवल 345 सक्रिय मामले हैं जबकि केरल में ये आंकड़ा 1.7 लाख पर पहुंच चुका है
केरल की ओर से कहा जा रहा है कि उसने अधिक संख्या में कोरोना की जांच की है इसलिए उसके यहां कोरोना के मरीज बढ़े हुए दिखाई दे रहे हैं. हालांकि अगर उत्तर प्रदेश से केरल की तलना की जाए तो यह तर्क गलत साबित होता है. केरल ने 25 अगस्त को एक दिन में 1.65 लाख कोरोना जांच की गई, जिसमें से 31,445 सकारात्मक मामले दर्ज किए गए थे. उसी दिन उत्तर प्रदेश में 1.87 लाख कोरोना जांच की गई थी, जिसमें से 22 सकारात्मक मामले दर्ज किए गए थे. बता दें कि यूपी में किए गए 60% से अधिक लगभग 1.15 लाख टेस्ट आरटी-पीसीआर थे, जबकि केरल में किए गए केवल 38% जांच करीब 62,428, आरटी-पीसीआर से की गई थी. आरटी-पीसीआर परीक्षण कोविड-19 का पता लगाने का सबसे अच्छा मानक है.
कुल मिलाकर यूपी में अब तक 7.10 करोड़ परीक्षण किए हैं. इसे प्रति लाख जनसंख्या के हिसाब से देखें तो 32 हजार कोरोना जांच की गई है. वहीं केरल में 3.06 करोड़ जांच की गई है जो प्रति लाख जनसंख्या पर 87000 के करीब है. ऐसा माना जा रा है कि बकरीद के दौरान केरल में दी गई छूट और ओणम के दौरान बरती गई लापरवाही के कारण ही केरल में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश ने दूसरी लहर के बाद से शनिवार और रविवार को लॉकडाउन लगाया, जिसके कारण यूपी में कोरोना का ग्राफ तेजी से नीचे चला गया.
उत्तर प्रदेश सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य के 75 में से 16 जिलों में इस समय एक भी सक्रिय कोविड मामला नहीं है और कई जिले भी कोई ताजा मामले दर्ज नहीं किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में जहां सक्रिय मामले दिन-ब-दिन कम होते जा रहे हैं, वहीं केरल में हर दिन कोरोना का ग्राफ ऊपर चढ़ रहा है. केरल ने कोविड के खिलाफ एक सफल मॉडल का दावा करने के लिए कम मृत्यु दर का हवाला दिया था, लेकिन राज्य में लगभग 20,000 लोग मारे गए हैं, जबकि केरल की तुलना में लगभग सात गुना अधिक आबादी वाले उत्तर प्रदेश में 22,700 लोगों की मौत कोरोना के कारण हुई है.