उप्र की कोरोना रिकवरी रेट 88 प्रतिशत तक पहुंची
लखनऊ। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उत्तर प्रदेश को एक और बड़ी सफलता मिली है। देश में सबसे अधिक आबादी वाला राज्य होने के बावजूद राज्य में जहां संक्रमण पहले से ही नियंत्रित है और सबसे अधिक कोरोना जांच हुई हैं। वहीं अब यहां संक्रमित मरीजों के ठीक होने की दर 88 प्रतिशत तक पहुंच गई है। ऐसा इलाज की बेहतर व्यवस्था के कारण हुआ है।
प्रदेश में पिछले कई दिनों से संक्रमण के नए मामलों की तुलना में ठीक होने वाली मरीजों की संख्या अधिक बनी हुई है। मरीजों के तेजी से स्वस्थ होने की बदौलत रिकवरी दर का ग्राफ भी लगातार बढ़ रहा है। अपर मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में राज्य में कोरोना की रिकवरी दर 88 प्रतिशत तक पहुंचने की जानकारी दी।
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को रिकवरी दर 87 प्रतिशत से अधिक हो जाने पर संतोष व्यक्त किया था। सोमवार तक देश के रिकवरी रेट 84 प्रतिशत की तुलना में उत्तर प्रदेश में मरीजों के ठीक होने की दर 03 फीसदी ज्यादा चल रही थी।
प्रदेश में अक्टूबर माह में कोविड-19 की रिकवरी दर पर नजर डालें तो यह महज छह दिनों में 86 प्रतिशत से बढ़कर 88 प्रतिशत तक पहुंची है। 01 अक्टूबर को यह 86.04 प्रतिशत, 02 अक्टूबर को 86.47 प्रतिशत, 03 अक्टूबर को 86.89 प्रतिशत, 04 अक्टूबर को 87.35 प्रतिशत और 05 अक्टूबर को 87.75 प्रतिशत थी।
इससे पहले सितम्बर माह के अन्तिम दिनों के आंकड़ों की बात करें तो 21 सितम्बर को राज्य में पहली बार कोविड-19 की रिकवरी दर 80 के पार होकर 80.69 प्रतिशत पर पहुंची थी। इसके अगले ही दिन 22 सितम्बर को इसमें और उछाल आया तथा ये 81 को पार करके 81.25 प्रतिशत हो गई। दो दिन बाद 24 सितम्बर को यह 82.19 प्रतिशत हुई। वहीं फिर 26 सितम्बर को 83.64 प्रतिशत होने के बाद 27 सितम्बर को यह आंकड़ा 84 के पार पहुंचकर रिकवरी दर 84.19 प्रतिशत हो गई। इस तरह राज्य में मरीजों के तेजी से ठीक होने का सिलसिला जारी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पिछले कुछ दिनों में प्रदेश में कोरोना के सक्रिय मामलों में कमी आयी है। जो ट्रेण्ड चला है, वह यह साबित करता है कि टेस्टिंग क्षमता बढ़ाकर कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता है।
राज्य में आरटीपीसीआर की प्राप्त की गयी क्षमता से प्रतिदिन 60,000 टेस्ट किया जाना सम्भव हुआ है। बाकी टेस्ट रैपिड एण्टीजन व ट्रूनैट से किये जा रहे हैं। इस प्रकार प्रदेश में अब प्रतिदिन डेढ़ से पौने दो लाख टेस्ट हो रहे हैं। प्रदेश में 1.75 लाख से अधिक कोविड बेड की स्थापना की गई है।
वहीं राज्य में सोमवार को ही एमएलएन मेडिकल काॅलेज, प्रयागराज के लिए कोरोना जांच में प्रयोग होने वाली लगभग 4.5 करोड़ रुपये की उच्च कोटि व नवीन तकनीक की कोबास मशीन उपलब्ध करायी गयी है। प्रदेश के सरकारी क्षेत्र में यह पहली कोबास 6800 मशीन है। इस मशीन से लगभग 1,200 टेस्ट प्रतिदिन किये जा सकते हैं। कोबास लैब को पूरी तरह क्रियाशील करने में लगभग 7.5 करोड़ रुपये की लागत आयी है।