“Adani का नाम लेते ही संसद में हंगामा, आगे कैसे चलेगी संसद?”
Adani पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह देश के लिए गंभीर मुद्दा है, जिस पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए।
संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्षी नेता और कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने जब Adani घोटाले का मुद्दा उठाया, तो केंद्रीय सरकार की ओर से तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली। खड़गे ने Adani पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह देश के लिए गंभीर मुद्दा है, जिस पर संसद में चर्चा की जानी चाहिए। इस पर सरकार के मंत्रियों का गुस्सा खुलकर सामने आया और कई सदस्यों ने खड़गे की टिप्पणी पर विरोध जताया। ऐसा देखा गया कि जैसे ही अडानी का नाम संसद में लिया जाता है, हंगामा शुरू हो जाता है, जिससे सदन की कार्यवाही प्रभावित होती है।
विपक्ष की रणनीति: Adani घोटाला प्रमुख मुद्दा
जैसे ही संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हुआ, विपक्ष ने Adani घोटाले को अपना मुख्य मुद्दा बना लिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान के बाद यह साफ हो गया कि विपक्ष संसद के हर सत्र में इस मुद्दे को उछालने के लिए तैयार है। अडानी पर लगे आरोपों और उनकी कंपनी के साथ केंद्र सरकार के रिश्तों को लेकर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस मुद्दे को जनता के बीच उठाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।
धनक ने Adani का नाम लेने से क्यों रोका?
इस बीच, संसद के उपसभापति, भाजपा नेता हरिवंश ने अडानी का नाम संसद में लेने से संबंधित विवादों को और बढ़ा दिया। जब कांग्रेस के सांसदों ने अडानी का नाम लिया, तो हरिवंश ने उन्हें रोकते हुए कहा कि इस तरह के आरोपों पर चर्चा नहीं हो सकती। इसके बाद यह सवाल उठने लगा कि क्या सरकार जानबूझकर अडानी के मुद्दे को दबाने की कोशिश कर रही है। विपक्षी दलों के अनुसार, सरकार अडानी के खिलाफ उठ रहे सवालों को दबाने के लिए इस तरह की रणनीति अपना रही है, ताकि यह मुद्दा ज्यादा जोर न पकड़ सके।
संसद की कार्यवाही पर असर: क्या आगे भी ऐसे मुद्दों पर हंगामा होगा?
अब सवाल यह उठता है कि क्या दिसंबर 20 तक संसद की कार्यवाही सुचारू रूप से चल पाएगी? यदि विपक्ष इसी तरह Adani घोटाले और सरकार के अन्य विवादित मुद्दों पर अड़े रहेंगे, तो संसद की कार्यवाही में बाधाएं आ सकती हैं। विपक्ष का रुख साफ है कि वह संसद में अडानी जैसे मामलों पर चर्चा करना चाहता है, और जब तक इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती, वे चुप नहीं बैठेंगे।
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संसद की कार्यवाही में संकट?
Adani के नाम से संसद में शुरू हुआ विवाद यह दर्शाता है कि विपक्ष और सरकार के बीच मतभेद गहरे हैं। एक ओर जहां सरकार अडानी को लेकर किसी भी तरह की चर्चा से बचना चाहती है, वहीं विपक्ष इसे एक गंभीर मुद्दा मानकर चर्चा चाहता है। इस स्थिति में यह देखना होगा कि संसद के आगामी सत्र में क्या दोनों पक्षों के बीच समाझौता हो पाता है, या फिर संसद में इसी तरह के हंगामे होते रहेंगे।