UPPSC Protest: छात्रों की जिद के आगे झुका आयोग, चार दिन बाद पूरी हुई मांग
UPPSC प्रदर्शन का यह सिलसिला अगले कुछ दिनों तक चलता रहा। मंगलवार और बुधवार को छात्रों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन की चिंगारी को फैलाया।
UPPSC प्रदर्शन की शुरुआत: पहला दिन
सोमवार, 11 नवंबर को, यूपीपीएससी (UPPSC) के छात्र अपनी मांगों को लेकर आयोग कार्यालय के बाहर एकत्र होना शुरू हो गए। लगभग 10:30 बजे सैकड़ों छात्र अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने पहुंचे। जैसे-जैसे समय बढ़ा, छात्रों की संख्या भी बढ़ती गई और उन्होंने सरकार और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इस दौरान, छात्रों और पुलिस के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति उत्पन्न हो गई। लगभग 11:30 बजे छात्रों का गुस्सा उबाल मारने लगा और पुलिस को भी स्थिति को नियंत्रित करने में कठिनाई हुई। छात्र दो शिफ्ट में परीक्षा आयोजित करने और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया की मांग कर रहे थे।
दूसरे और तीसरे दिन: प्रदर्शन का विस्तार
UPPSC प्रदर्शन का यह सिलसिला अगले कुछ दिनों तक चलता रहा। मंगलवार और बुधवार को छात्रों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन की चिंगारी को फैलाया। लखनऊ विश्वविद्यालय में भी छात्रों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों ने मांग की कि परीक्षा की प्रक्रिया में सुधार किया जाए और उन्हें उनके अनुरूप सुविधाएं दी जाएं। छात्र लगातार इस बात पर जोर दे रहे थे कि यदि आयोग उनकी मांगों को नहीं मानेगा, तो उनका आंदोलन और तेज होगा।
आयोग का कदम: छात्रों की मांगों को मानना
प्रदर्शन के चौथे दिन, आयोग ने छात्रों की मांगों पर ध्यान दिया और अपनी नीति में बदलाव का संकेत दिया। UPPSC ने घोषणा की कि उनके द्वारा किए गए विरोध को समझते हुए, आयोग अब दो शिफ्टों में परीक्षा आयोजित करने और नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर विचार करेगा। इसके बाद छात्रों ने अपना आंदोलन समाप्त किया, और उन्होंने अपनी जीत के रूप में आयोग के फैसले को स्वीकार किया। यह निर्णय छात्रों के संघर्ष और उनकी लगातार कोशिशों का परिणाम था।
प्रदर्शन का प्रभाव: क्या बदल रहा है?
छात्रों की यह सफलता न केवल UPPSC परीक्षा के लिए एक बड़ा मोड़ है, बल्कि यह दिखाता है कि छात्रों के संघर्ष से अधिकारियों पर दबाव डाला जा सकता है। इसके अलावा, इस विरोध प्रदर्शन ने प्रशासन को यह सिखाया कि छात्रों के मुद्दों पर तत्काल ध्यान देना जरूरी है, खासकर जब वे अपनी मांगों को लेकर पूरी तरह से अडिग हों।
Congress कर रही हैं पशुपति पारस का स्वागत…..!
UPPSC छात्रों का यह विरोध आंदोलन एक मिसाल बन गया है कि जब छात्र अपनी मांगों को लेकर एकजुट होते हैं, तो वे प्रशासन और आयोग को झुकने पर मजबूर कर सकते हैं। चार दिन तक चले इस आंदोलन ने न केवल छात्रों की जीत दिलाई, बल्कि अधिकारियों को भी यह समझने का मौका दिया कि परीक्षा और छात्रों की भलाई के मामले में उनकी राय कितनी अहम होती है।