योगी सरकार में कानून व्यवस्था: “जय श्री राम” न बोलने पर पैर में घुसाया गया कांच, सदमे में मासूम बच्चा

अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर उठे तीखे सवाल

उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में एक बार फिर इंसानियत शर्मसार हुई है। महाराजपुर थाना क्षेत्र के सरसौल कस्बे में एक किशोर के साथ सिर्फ इसलिए बर्बरता की गई क्योंकि उसने धार्मिक नारा लगाने से इनकार कर दिया। यह घटना न सिर्फ प्रदेश में फैलती सांप्रदायिक कट्टरता की पोल खोलती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या कानून व्यवस्था एकतरफा हो चुकी है?

धार्मिक नारा न लगाने पर किशोर को दी गई अमानवीय सजा

पीड़ित किशोर के अनुसार, वह किसी दुकान पर गया था, जहां आरोपित राजू शुक्ला और उसके साथियों ने पहले उससे पैर छूने का दबाव बनाया। जब उसने इनकार किया तो उसे “जय श्री राम” बोलने को कहा गया। इनकार पर पहले जमकर मारपीट की गई और फिर एक बोतल तोड़कर उसके पैर में कांच घुसा दिया गया।

कानून का डर खत्म? आरोपी खुलेआम कर रहे गुंडागर्दी

इस अमानवीय हरकत के बाद भी आरोपियों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई। पुलिस ने सिर्फ “मामला दर्ज कर जांच में जुटने” की रस्म अदायगी की है। आखिर कब तक जांच के नाम पर पीड़ितों को इंसाफ से दूर रखा जाएगा?

क्या बुलडोजर सिर्फ नाम के लिए है?

इस घटना ने एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है – क्या प्रदेश की ‘बुलडोजर नीति’ सिर्फ अल्पसंख्यकों के लिए है? जब कोई मुस्लिम युवक गलती करे तो तत्काल एनकाउंटर या घर पर बुलडोजर चलवा दिया जाता है। लेकिन यहां जब एक किशोर को धार्मिक आधार पर प्रताड़ित किया गया, तो सरकार और प्रशासन खामोश क्यों है?

सांप्रदायिक राजनीति की आग में झुलसता समाज

योगी सरकार में जिस तरह की कट्टरता को प्रोत्साहन मिला है, उसका नतीजा अब आम लोगों की ज़िंदगी में हिंसा बनकर सामने आ रहा है। यह कोई अकेली घटना नहीं है, बल्कि ऐसे कई मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिनमें धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाया जा रहा है।

कब तक सहेंगे? कब मिलेगा इंसाफ?

इस घटना ने फिर साबित कर दिया है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था सिर्फ किताबों में बची है। असल में, इंसाफ भी अब वर्ग देखकर दिया जा रहा है। यह न सिर्फ संविधान के खिलाफ है, बल्कि लोकतंत्र की आत्मा पर सीधा हमला है।

सरकार की चुप्पी, प्रदेश में नफरत का जहर

कानपुर की यह घटना बताती है कि प्रदेश में नफरत का जहर किस तरह समाज को खोखला कर रहा है। सरकार की चुप्पी इस बात की तस्दीक करती है कि वह इन घटनाओं को अनदेखा कर रही है। अब समय आ गया है कि ऐसे मामलों में सिर्फ जांच नहीं, त्वरित और निष्पक्ष कार्रवाई हो। वरना आम जनता का भरोसा कानून से उठ जाएगा।

 

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