यूपी एमएलसी चुनाव : यादव के गढ़ में आज सपा की एक और ‘सियासी परीक्षा’
सपा के सामने इस सियासी दुर्ग को बचाने की तगड़ी चुनौती भी है
लखनऊ: कन्नौज की सभी विधानसभा सीट गंवाने वाली सपा के सामने अब एमएलसी चुनाव की परीक्षा है। यादव लैंड के रूप में सियासी पहचान रखने वाले अपने ही गढ़ में भाजपा से चौतरफा घिरी सपा के सामने इस सियासी दुर्ग को बचाने की तगड़ी चुनौती भी है। उधर भाजपा ने भी सपा के इस आखिरी मोर्चे पर फतह के लिए पूरा जोर लगाया है।
कभी सपा के लिए सबसे मजबूत इलाकों में रहा कन्नौज अब धीरे-धीरे उसके हाथ से छिटक रहा है। लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव में भाजपा ने सपा के इस किले पर कब्जा कर लिया है। अब बारी एमएलसी चुनाव की है। इस सीट पर इस समय सपा का कब्जा है। देखने वाली बात होगी कि सपा इस कब्जे को बरकरार रखेगी या फिर भाजपा इस सीट को भी झटक लेगी। सपा के इस गढ़ की इस सीट को जीतने के लिए भाजपा ने जोर लगाया हुआ है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस सीट से उम्मीदवारी भाजपा की युवा इकाई के प्रदेश मुखिया प्रांशुदत्त द्विवेदी को दी गई है। सपा से हरीश यादव मैदान में हैं।
चार जिलों में 13 विधानसभा सीट
शनिवार को जिस सीट पर वोटिंग होनी है, उसमें कन्नौज के अलावा फर्रुखाबाद, इटावा और औरेया हैं। इन चारों जिलों में विधानसभा की कुल 13 सीट हैं। इसमें हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने नौ में जीत हासिल की है। सपा को चार में ही जीत मिली थी। उसमें भी फर्रुखाबाद की चार और कन्नौज की सभी तीन सीट पर भाजपा जीती थी। सपा का हाथ खाली रह गया था। इटावा और औरेया की तीन-तीन में से सपा को दो-दो सीट पर जीत मिली थी। देखने वाली बात होगी कि चार विधानसभा सीट के बूते एमएलसी की यह सीट सपा किस तरह हासिल करती है।
अखिलेश खुद ने संभाला है मोर्चा
इस सीट पर सपा की प्रतिष्ठा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद पार्टी प्रमुख ही इस सीट पर निगाह रखे हुए हैं। तीन दिन पहले ही छह अप्रैल को कन्नौज आकर पार्टी कार्यालय पर जिले भर के कार्यकर्ताओं से मुलाकात करने के बाद उन्होंने भाजपा से मुकाबला करने और सपा उम्मीदवार के लिए वोटिंग करने के लिए जोश भरा था। राजधानी से बाहर निकलकर यहां आना और कार्यकर्ताओं से मिलकर सीट जिताने के लिए जोर देने की कोशिश से ही समझा जा सकता है कि सपा अपने इस दुर्ग को बचाने के लिए किस तरह बेचैन है।