UP: डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की बढ़ सकती हैं मुश्किलें, इस मामले में जल्द आ सकता है फैसला

प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) की कथित फर्जी डिग्री मामले (Fake Degree Case) में प्रयागराज की एसीजेएम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुरक्षित कर लिया है. एसीजेएम नम्रता सिंह ने पिछली सुनवाई पर एसएचओ कैंट को पूरे मामले में प्रारंभिक जांच के आदेश दिए थे. कोर्ट ने दो बिन्दुओं पर एसएचओ कैंट से प्रारंभिक जांच कर एक हफ्ते में रिपोर्ट मांगी थी. लेकिन एसएचओ कैंट ने कार्य की अधिकता का हवाला देते हुए प्रारंभिक जांच पूरी न होने की कोर्ट को जानकारी दी और प्रारंभिक जांच पूरी करने के लिए दस दिन की मोहलत मांगी. इस पर नाराजगी जताते हुए एसीजेएम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई.

दरअसल कोर्ट ने प्रियंका श्रीवास्तव बनाम स्टेट ऑफ यूपी के सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले के आधार पर प्रारंभिक जांच का आदेश दिया है, उस आदेश के मुताबिक प्रारंभिक जांच के लिए सात दिन से ज्यादा की मोहलत नहीं दी जा सकती है. इस मामले में जल्द ही एसीजेएम नम्रता सिंह की अदालत अपना फैसला सुना सकती है.

जानें क्या है पूरा मामला

दरअसल, पिछली सुनवाई 11 अगस्त को एसीजेएम कोर्ट ने डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की उत्तर मध्यमा द्वितीय वर्ष की हिन्दी साहित्य सम्मेलन की डिग्री की जांच का आदेश दिया है. उन पर चुनाव के हलफनामे में फर्जी सर्टिफिकेट लगाने का आरोप है. इसके साथ ही कोर्ट ने हाईस्कूल के फर्जी सर्टिफिकेट पर पेट्रोल पंप हासिल करने के मामले में भी जांच का आदेश दिया था. डिप्टी सीएम पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी हाई स्कूल के सर्टिफिकेट के आधार पर इंडियन आयल से पेट्रोल पंप हासिल किया है. एसीजेएम कोर्ट ने ये आदेश प्रियंका श्रीवास्तव बनाम स्टेट ऑफ यूपी के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर दिया है. दरअसल 19 मार्च 2015 को सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपक मिश्रा ने इस मामले फैसला सुनाया था.

हम आपको बता दें कि आरटीआई एक्टिविस्ट और वरिष्ठ भाजपा नेता दिवाकर त्रिपाठी ने अर्जी दाखिल कर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पर गंभीर आरोप लगाया है कि उन्होंने फर्जी डिग्री लगाकर 5 अलग-अलग चुनाव लड़े. इसके साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर ही पेट्रोल पंप भी हासिल किया है. अर्जी में इस आधार पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का निर्वाचन रद्द करने और पेट्रोल पंप का आबंटन भी निरस्त करने की मांग की है. अर्जी में कहा गया है कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने 2007 में शहर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधान सभा चुनाव लड़ा था. इतना ही नहीं इसके बाद 2012 में सिराथू से भी विधानसभा चुनाव लड़ा और फूलपुर लोकसभा से  2014 में  चुनाव लड़ा और एमएलसी भी चुने गए हैं. उन्होंने अपने शैक्षिक प्रमाण पत्र में हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा जारी प्रथमा और द्वितीया की डिग्री लगाई है, जो कि प्रदेश सरकार या किसी बोर्ड से मान्यता प्राप्त नहीं है.

बढ़ी सकत है डिप्टी सीएम की मुश्किलें

डिप्टी सीएम मौर्या पर आरोप है कि इसी डिग्री के आधार पर उन्होंने इंडियन आयल कॉरपोरेशन से पेट्रोल पंप भी प्राप्त किया है जो कौशाम्बी में स्थित है. वरिष्ठ भाजपा नेता और आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि चुनाव लड़ने के दौरान जो अलग – अलग शैक्षिक प्रमाण पत्र लगाए गए है उसमें भी अलग-अलग वर्ष दर्ज है. इनकी कोई मान्यता नहीं है. दिवाकर त्रिपाठी के मुताबिक उन्होंने स्थानीय थाना, एसएसपी से लेकर यूपी सरकार और केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में प्रार्थना पत्र देकर कार्रवाई की मांग की थी. लेकिन कोई कार्रवाई न होने पर उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा. इस मामले में फैसला आने के बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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