UP Byelection 2024: क्या 9 सीटों पर फिर से होगी वोटिंग? अखिलेश यादव के चाचा की मांग से बढ़ा विवाद
UP की 9 विधानसभा सीटों पर संपन्न हुए उपचुनाव (UP By-election 2024) ने राज्य में एक नया राजनीतिक विवाद जन्म दिया है।
UP की 9 विधानसभा सीटों पर संपन्न हुए उपचुनाव (UP By-election 2024) ने राज्य में एक नया राजनीतिक विवाद जन्म दिया है। मतदान की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, और अब सभी की नजरें 23 नवंबर को होने वाली मतगणना पर टिकी हुई हैं। इस बीच समाजवादी पार्टी (सपा) और UP पुलिस के बीच बढ़ते विवाद ने चुनाव को लेकर एक नई बहस को जन्म दिया है। सपा के नेताओं ने यूपी पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें कहा गया कि पुलिस ने सत्ता के इशारे पर काम किया और उनके समर्थकों को मतदान केंद्रों से जबरन बाहर कर दिया।
सपा का आरोप: पुलिस ने वोटिंग को प्रभावित किया
UP की 9 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में सपा नेताओं ने चुनाव प्रक्रिया को लेकर तीखी आलोचना की है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि यूपी पुलिस ने मतदान के दौरान सपा के वोटरों को परेशान किया और उन्हें मतदान केंद्रों से बाहर किया। सपा के अनुसार, यह सब सत्ता के इशारे पर किया गया, ताकि उनके समर्थकों को वोट देने से रोका जा सके। इस घटना ने सपा और यूपी सरकार के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है, और विपक्षी दलों ने इसे चुनाव प्रक्रिया में अनियमितताओं के रूप में देखा है।
सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा, शिवपाल यादव ने भी इस मुद्दे पर बयान दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और प्रशासन ने भाजपा के पक्ष में काम किया, और सपा के वोटरों को डराकर या धमकाकर मतदान केंद्रों से बाहर कर दिया। शिवपाल यादव ने मांग की है कि इन आरोपों की निष्पक्ष जांच की जाए और अगर जरूरत पड़ी तो चुनाव को फिर से आयोजित किया जाए।
क्या फिर से होगी वोटिंग?
सपा की शिकायतों और आरोपों के बाद सवाल उठता है कि क्या इन आरोपों की गंभीरता को देखते हुए चुनाव आयोग 9 विधानसभा सीटों पर फिर से वोटिंग कराएगा? चुनाव आयोग ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सपा ने जोर देकर कहा है कि यदि निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित नहीं हो सकता, तो इन सीटों पर फिर से चुनाव कराए जाएं।
चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करे कि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, और किसी भी प्रकार की बाहरी ताकत या दबाव का चुनाव पर प्रभाव न पड़े। अगर सपा के आरोपों में कुछ सच्चाई होती है, तो आयोग को इस पर विचार करना होगा। हालांकि, चुनाव आयोग ने इससे पहले भी ऐसे मामलों में संज्ञान लिया है और जरूरी कदम उठाए हैं।
राजनीतिक प्रभाव और आगामी स्थिति
UP के उपचुनावों को लेकर राजनीतिक पार्टियां और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। जहां एक ओर सपा आरोप लगा रही है कि उनके वोटरों को डराया-धमकाया गया, वहीं भाजपा ने इसे सपा का आम चुनावी शगल बताते हुए आरोपों को खारिज किया है। भाजपा नेताओं का कहना है कि सपा अपनी हार से डर गई है और अब वह मतगणना से पहले ही संदेह पैदा कर रही है।
हालांकि, इस समय सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि 23 नवंबर को होने वाली मतगणना में कौन सी पार्टी जीत हासिल करती है। अगर सपा के आरोपों के बाद चुनाव आयोग को इन आरोपों को गंभीरता से लेना पड़ता है, तो यह आगामी परिणामों पर प्रभाव डाल सकता है।
चुनाव आयोग का भूमिका: निष्पक्षता की चुनौती
चुनाव आयोग के लिए यह एक अहम मोड़ है, क्योंकि विपक्षी दलों का आरोप है कि यूपी पुलिस ने चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप किया। यदि चुनाव आयोग ने इस मामले की पूरी तरह से जांच की और किसी भी प्रकार की अनियमितता या दबाव पाया, तो आयोग को कार्रवाई करनी होगी। हालांकि, चुनाव आयोग के लिए इस प्रकार के आरोपों को सही और निष्पक्ष तरीके से सुलझाना एक चुनौती होगा।
इसके साथ ही, यह बात भी ध्यान में रखना जरूरी है कि 9 विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के परिणाम न केवल यूपी की राजनीति में बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इन सीटों पर हुई जीत या हार का असर राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।
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UP के उपचुनाव में 9 विधानसभा सीटों पर मतदान के बाद सपा और यूपी पुलिस के बीच उत्पन्न हुआ विवाद चुनावी माहौल को गर्मा सकता है। सपा के आरोपों और शिवपाल यादव की मांग के बाद यह सवाल उठता है कि क्या चुनाव आयोग इन आरोपों की जांच करेगा और क्या इन सीटों पर पुनः मतदान कराया जाएगा? फिलहाल, यह देखना होगा कि चुनाव आयोग इस विवाद पर क्या कार्रवाई करता है और क्या 23 नवंबर को होने वाली मतगणना पर इससे कोई असर पड़ेगा।