पीएम मोदी की रैली से यूपी विधानसभा चुनावों का आगाज, यूपी को साधने की कोशिश?
पश्चिमी यूपी में कहावत है कि जिसके जाट, उसी के ठाठ। 2014 से 2019 तक हुए लोकसभा व विधानसभा चुनाव की बात करें तो जाटों का समर्थन भाजपा को मिला। अब किसान आंदोलन के चलते दूसरे राजनीतिक दल जाट राजनीति को लेकर सक्रिय हो चले हैं तो भाजपा की भी सक्रियता भी बढ़ गई हैं। ऐसे में भाजपा अलीगढ़ से वेस्ट यूपी और जाटों को साधने की तैयारी में है। पीएम नरेन्द्र मोदी के 14 सितंबर को होने वाले कार्यक्रम भी मिशन-2022 का आगाज व जाटों को साधने की कवायद माना जा रहा है।
कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसानों का आंदोलन एक बार फिर रफ्तार पकड़ रहा है। मुजफ्फरनगर की महापंचायत से संयुक्त किसान मोर्चा ने यह दर्शा भी दिया है। किसान नेता राकेश टिकैत जाट समुदाय से आते हैं। टिकैत फिलहाल किसानों के बड़े नेता के तौर पर उभर कर आए हैं। उनका प्रभाव कम से कम पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के बीच तो है ही। ऐसे में अब भाजपा अगले साल होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी जाटों को अपने साथ पूरी तरीके से जोड़ना चाहती है। 2017 के विधानसभा चुनाव में जाटों ने बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया था।
2019 में इगलास विधानसभा सीट के उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ ने राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नाम से स्टेट यूनिवर्सिटी की घोषणा किए जाने से एक तीर द्वारा कई निशाने साधे थे। जाट राजा महेन्द्र प्रताप सिंह के नाम पर स्टेट यूनिवर्सिटी से जाटों को साधना, लंबे समय से चली आ रही यूनिवर्सिटी की मांग को पूरा करना और तीसरा अन्य राजनीतिक पार्टियों द्वारा राजा महेन्द्र प्रताप के नाम पर कुछ न किए जाने और भाजपा द्वारा सम्मान किए जाने का संदेश दिया था। अब यूपी में चुनावी माहौल शुरू हो चुका है। दूसरी तरफ किसान आंदोलन भी चल रहा है। ऐसे में 14 सिंतबर को पीएम मोदी द्वारा स्टेट यूनिवर्सिटी का शिलान्यास करने आना भी कई मायनों में अहम है।