रिश्तों की नई परिभाषा? 52 वर्षीय महिला ने 28 साल के पोते से की शादी.. हुआ बहिष्कार तो छोड़ा गाँव

अंबेडकरनगर जिले में एक 52 वर्षीय महिला ने अपने रिश्ते के पोते से शादी कर एक नई और विवादित चर्चा को जन्म दिया है। यह घटना समाज के कई वर्गों में कड़ी निंदा का कारण बनी है। महिला के इस कदम के बाद समाज में विरोध बढ़ गया, जिसके कारण महिला और उसके पोते को गांव छोड़कर दूसरे प्रदेश की ओर रवाना होना पड़ा। इस घटनाक्रम ने परिवार और समाज के बीच रिश्तों और नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
52 वर्षीय महिला का 28 वर्षीय पोते से विवाह
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बसखारी के प्रतापपुर बेलवरिया दलित बस्ती निवासी इंद्रावती (52) ने अपने पोते, 28 वर्षीय आजाद से शादी कर समाज और परिवार में हलचल मचा दी। इंद्रावती की शादी 20 साल पहले चंद्रशेखर आजाद से हुई थी, जिनसे उन्होंने तीन बच्चों को जन्म दिया था। इस शादी के बावजूद इंद्रावती की नजदीकियां आजाद (28) से बढ़ने लगीं, और दोनों ने एक-दूसरे से विवाह करने का फैसला किया।
परिवार और समाज का विरोध: महिला को किया गया बहिष्कृत
महिला के पति चंद्रशेखर को जब इस बारे में पता चला, तो उन्होंने इस शादी के विरोध में तीव्र कदम उठाए। चंद्रशेखर ने पत्नी का पुतला बनाकर उसका दाह संस्कार कर दिया और तेरहवीं करने का निर्णय लिया। इसके अलावा, समाज ने भी इस शादी पर कड़ा विरोध जताया और दोनों को बहिष्कृत कर दिया। इस विरोध के बाद, महिला और आजाद ने परिवार और समाज से डरते हुए गोविंद साहब मंदिर में जाकर शादी कर ली।
हत्या की साजिश का आरोप: पति ने लगाया गंभीर आरोप
चंद्रशेखर ने अपनी पत्नी और उसके रिश्ते के पोते पर हत्या की साजिश रचने का भी आरोप लगाया है। इसके बाद, महिला और आजाद को किसी दूसरे प्रदेश में चले जाने के लिए मजबूर किया गया। पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तहरीर देने के लिए चंद्रशेखर को बुलाया है। तहरीर मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी।
पुलिस कार्रवाई: जांच शुरू
इंद्रावती और आजाद के खिलाफ अब पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। थाना प्रभारी संत कुमार सिंह ने कहा कि महिला के पति को तहरीर देने के लिए बुलाया गया है और तहरीर मिलने के बाद मामले में कार्रवाई की जाएगी।
रिश्तों और विवाह की परिभाषा को पुनः परिभाषित
इस घटना ने रिश्तों और विवाह की परिभाषा को पुनः परिभाषित किया है। समाज और परिवार में इस तरह के घटनाक्रमों का असर दूरगामी हो सकता है, और यह कई सवालों को जन्म देता है कि क्या रिश्तों की परिभाषा अब बदल रही है या यह बस एक विचारधारा का परिणाम है। वहीं, पुलिस और समाज के लिए यह एक चुनौती है कि वे इस मुद्दे को संवेदनशीलता और न्याय के साथ सुलझाएं।