अफगान संकट पर UN सुरक्षा परिषद की मीटिंग

सेक्रेटरी जनरल गुटेरेस बोले- शरणार्थियों को न लौटाए कोई भी देश; भारत ने कहा- आतंकियों का ठिकाना न बने अफगानिस्तान

अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक हुई। इस मीटिंग में UN महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने दुनिया से अफगान लोगों की मदद करने को कहा। गुटेरेस ने कहा- अफगानिस्तान के लोग आत्मसम्मान से जीना जानते हैं। उन्होंने लंबे वक्त से जंग और उसके दुष्परिणाम देखे हैं। आज उन्हें समर्थन और मदद की जरूरत है।

इस मीटिंग की अध्यक्षता भारत कर रहा है। भारत ने साफ तौर पर आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस पर जोर दिया। साथ ही कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए न हो। मीटिंग में UN महासचिव गुटेरस ने कहा कि आने वाले कुछ दिन अहम होंगे। दुनिया भी हालात पर पैनी नजर रखे हुए हैं। हमें अफगानिस्तान के लोगों को अकेला नहीं छोड़ना है। कोई देश शरणार्थियों को वापस न भेजे।

तालिबान से अपील- लोगों की जान बचाएं
गुटेरेस ने तालिबान से भी एक अपील की। कहा- मैं सभी पक्षों और खासकर तालिबान से अपील करना चाहूंगा कि वे लोगों की जान बचाएं और उनकी मानवीय जरूरतों को पूरा करें। हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। आम नागरिकों की हर कीमत पर रक्षा की जानी चाहिए।

UN महासचिव ने आगे कहा- सभी देशों और सभी पक्षों की यह जिम्मेदारी है कि वे जीवन रक्षक चीजों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए हर मुमकिन कोशिश और व्यवस्थाएं करें। मैं सभी देशों से यह अपील करता हूं कि वे रिफ्यूजियों को वापस न भेजें, बल्कि उन्हें स्वीकार करें।

दुनिया को एकजुट होने की जरूरत
गुटेरेस ने कहा- यह वक्त है कि जब दुनिया को एक मंच पर और एकजुट होने की जरूरत है। तालिबान को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों और कानूनों का सम्मान करना चाहिए। मैं महिलाओं और लड़कियों के बारे में मिल रही खबरों को लेकर सबसे ज्यादा फिक्रमंद हूं।

आतंकवाद का जिक्र करते हुए गुटेरेस ने कहा- दुनिया को यह तय करना होगा कि अफगानिस्तान फिर आतंकियों की महफूज पनाहगाह न बन पाए। इसके लिए हमें एकजुट होना पड़ेगा। वहां के लोगों को बुनियादी हक दिलाने होंगे।

अफगानिस्तान के हालात भारत के लिए चिंता का सबब
UNSC की आपातकालीन बैठक के दौरान भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, ‘अफगानिस्तान की मौजूदा स्थिति भारत के लिए चिंता का विषय है। वहां पुरुष, महिलाएं और बच्चे डर के साए में जी रहे हैं। सभी अपने भविष्य को लेकर डरे हुए हैं।’

‘अगर आतंकवाद को लेकर जीरो टॉलरेंस की नीति हो और यह तय किया जाए कि आतंकवादी अफगानी जमीन का इस्तेमाल किसी देश को डराने या उस पर हमला करने के लिए न हो, तभी अफगानिस्तान के पड़ोसी देश खुद को सुरक्षित महसूस कर सकते हैं।’

‘मैं लाखों अफगानियों की आवाज’
इस मीटिंग में अफगानिस्तान के स्थाई प्रतिनिधि गुलाम इसाकजई ने भी हिस्सा लिया। उन्होंने कहा- “आज मैं लाखों अफगानियों की आवाज बनकर आपके सामने खड़ा हूं। उन महिलाओं और बच्चियों की भी आवाज हूं जिनकी आजादी छीन ली गई है। वे स्कूल नहीं जा सकतीं और काम करने के लिए बाहर नहीं निकल सकतीं। उनकी सोशल लाइफ खत्म की जा रही है। तालिबान उन वादों को पूरा नहीं कर रहा है जो उसने दोहा और दूसरे इंटरनेशनल फोरा पर किए थे। हमारे लोग बेहद दहशत में जी रहे हैं।”

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