हाईकोर्ट ने दिए थे पूर्व मुख्यमंत्रियों पर कार्यवाही के आदेश, न कर फंस गई उत्तराखंड सरकार
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों ने अपनी सुख-सुविधाओं के चलते उत्तराखंड सरकार को दिक्कत में डाल दिया है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद पूर्व मुख्यमंत्रियों के लिए सरकारी खर्च पर सुख-सुविधाएं देने का विरोध शुरू हो गया है। इसकी शुरुआत प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने की है। कांग्रेस महासचिव व पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खुद पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी जाने वाली ऐसी सुख-सुविधाओं के औचित्य पर सवाल उठाए हैं।
हाईकोर्ट ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों से बाजार दर के हिसाब से सरकारी आवास का किराया वसूल करने के आदेश दिया था। उसके बाद उत्तराखंड मंत्रिमंडल ने गत 13 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास समेत तमाम सुविधाएं देने के संबंध में अध्यादेश को मंजूरी दी थी। सरकार के इस कदम पर उत्तराखंड के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार को हाईकोर्ट के आदेश का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश की माली हालत को देखते हुए राज्य में पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी खर्च पर सुविधाएं नहीं दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला नज़ीर
पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी खजाने से किसी तरह की सुविधाएं देने के खिलाफ नैनीताल हाईकोर्ट में याचिका दायर है। याचिकाकर्ता अवधेश कौशल का कहना है कि उत्तराखंड सरकार के इस फैसले का हश्र उत्तरप्रदेश के अखिलेश यादव की सरकार की तरह होने जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने अखिलेश सरकार के उस कदम को सिरे से ही गलत करार दे दिया था। उत्तराखंड में अध्यादेश लागू होने पर इसे हाईकोर्ट की अवमानना के रूप में चुनौती दी जाएगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को नजीर के तौर पर हाईकोर्ट में पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह मुद्दा सरकार की परेशानियां बढ़ाता नज़र आ रहा है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने के संकेत दिए हैं।
आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने तकरीबन 15 दिन पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियो के सरकारी आवास और अन्य सुविधाओं के निशुल्क सुविधाओं का बकाया माफ़ करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व भगत सिंह कोश्यारी ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री कार्यकाल का किराया बाजार दर पर वसूलने के आदेश पर पुनर्विचार की अपील की थी। पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि उनसे 30 हजार पांच सौ रुपए प्रतिमाह के दर से किराया वसूला जा रहा है।