तिरंगा है, लेकिन घर नहीं, फिर तिरंगा घर में कैसे लगाएं,’ उद्धव ठाकरे का BJP पर हमला
तिरंगा है, लेकिन घर नहीं, फिर तिरंगा घर में कैसे लगाएं,’ उद्धव ठाकरे का BJP पर हमला
‘तिरंगा है, लेकिन घर नहीं, फिर तिरंगा घर में कैसे लगाएं,’ उद्धव ठाकरे का BJP पर हमला
महाराष्ट्र। शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने व्यंग्य से जुड़ी साप्ताहिक पत्रिका ‘मार्मिक’ के 62वीं वर्षगांठ के मौके पर शनिवार (13 अगस्त) को शिवसैनिकों से संवाद किया, उन्होंने कहा कि अगर शिवसेना नहीं होती तो महाराष्ट्र में मराठी माणूस की क्या हालत होती और देश में हिंदुत्व की क्या स्थिति होती, यह विचार का मुद्दा है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि ‘मार्मिक’ पत्रिका की शुरुआत बालासाहेब ठाकरे ने उनके चाचा और दादा के साथ मिल कर 1960 में की थी। आज हम देश की स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव (75 साल) मना रहे हैं, तब आजादी मिले 13 साल हुए थे।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि मार्मिक पत्रिका की यह 62 वीं वर्षगांठ है। मेरी भी उम्र 62 हो चुकी है, लेकिन आदमी उम्र से नहीं विचारों से जवान या बूढ़ा होता है। उद्धव ठाकरे ने यह भी कहा कि आज हर घर तिरंगा के नारे दिए जा रहे हैं, लेकिन एक व्यंग्य सामने आयसामन। इस व्यंग्य में कुछ लोगों को दिखाया गया है, जिनके पास घर नहीं है। वे कहां तिरंगा लगाएं? एक दूसरा व्यंग्य चित्र है, इसमें जन्माष्टमी के पर्व को आधार मान कर व्यंग्य किया गया है, इसमें एक भक्त श्री कृष्ण से कह रहा है कि प्रभु माखन बाद में खाइएगा पहले 5 फीसदी जीएसटी दीजिए। सिर्फ तिरंगा लगाना देशभक्ति का सबूत नहीं।
‘देश का नष्ट कर रहे संघात्मक ढांचा और कह रहे- हर घर तिरंगा’
उद्धव ठाकरे ने कहा कि क्षेत्रीय पार्टियों को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। देश के संघात्मक ढांचा को नष्ट किया जा रहा है और हर घर तिरंगा का नारा दिया जा रहा है। जे पी नड्डा की भाषा पर गौर करने की जरूरत है। उद्धव ठाकरे ने कहा लोकतंत्र मृत्युशैय्या पर पड़ी है। गद्दी पर बैठे लोगों को यह गुमान है कि, ‘हम करें सो कायदा.’ कुछ लोगों को लग रहा है कि भारतमाता का मतलब अपना मालमत्ता (संपत्ति) है, लेकिन वे जैसा सोचते हैं, वैसा होता नहीं है। उन्हें लगता है कि शिवसेना तो अब खत्म हो गई। जनता सब देख रही है, जनता हर बात को नोटिस करती है।
‘घर में तिरंगा फहरा कर क्या चीन को अरुणाचल से भगा सकते हैं?’
आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और चीन सीमा के अंदर घुसा जा रहा है. हर घर तिरंगा लहरा कर क्या चीन को अरुणाचल प्रदेश से भगा सकते हैं? सैना के आधुनिकीकरण की बात कर रहे और सैनिक को भाड़े पर भर्ती कर रहे, उनकी कटौती कर रहे हैं। ये आधुनिक शस्त्र चलाएगा कौन?