U.P : बहुत फर्क है समाजवादी पार्टी और योगी सरकार में…..
लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पूर्व की सरकारों और योगी सरकार में बहुत फर्क है। पहले की सरकारों के लिए वोट बैंक सर्वोपरि था। इसके लिए वह तुष्टीकरण की राष्ट्रघाती राजनीति करने से भी बाज नहीं आते थे। जबकि योगी सरकार नारा है, विकास सबका तुष्टीकरण किसी का नहीं। इसी नारे पर अमल करते हुए वह राष्ट्र विरोधी ताकतों को लगातार सबक सिखा रही है साथ ही बिना भेदभाव के पूरी पारदर्शिता से सबका विकास भी कर रही है।
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गोरखपुर के सीरियल ब्लास्ट में तारिक काजमी को मिली उम्र कैद की सजा इसका सबूत है। याद करें 2005 में हुए वाराणसी के बम धमाकों की घटना। इसमे 25 निर्दोष लोगों की जान गई थी। इसके आरोपी वलीउल्लाह और शमीम, तारिक काजमी के ही साथी थे। उस समय सपा की सरकार थी। हर कीमत पर वर्ग विशेष का वोट पाने के लिए उसने निर्दोषों का खून बहाने वाले आतंकवादियों के मुकदमें वापसी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायाधीश आरके अग्रवाल और एस आर मौर्य ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी थी कि इससे आतंकवाद को बढ़ावा मिलेगा। यही नहीं सपा सरकार के खिलाफ बेहद तल्ख टिप्पणी भी की थी। हाईकोर्ट ने कहा था, आज आप उनके खिलाफ मुकदमें वापस ले रहे हैं, कल क्या उनको पद्मविभूषण से भी नवाजेंगे? एक वह सरकार थी और एक आज की योगी सरकार है जिसकी मजबूत पैरवी से काजमी जैसे दहशतगर्दों को उम्रकैद की सजा मिली।
मालूम हो कि मई, 2007 में गोरखपुर के सबसे भीड़भाड़ वाले बाजार गोलघर के बलदेव प्लाजा, गणेश चौराहा और जलकल भवन के पास साइकिल पर टिफिन में बम रखे गए थे। इससे होने वाले धमाकों में छह लोग जख्मी हुए थे। इस मामले में कैंट थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में काजमी आरोपी था। उसे और उसके साथी खालिद को सपा सरकार ने निर्दोष मानते हुए केस वापस लेने का प्रयास किया था। हालांकि पहले बाराबंकी फिर हाईकोर्ट से सरकार को झटका लगा था.
तारिक काजमी को फैजाबाद और लखनऊ कचहरी ब्लास्ट में पहले ही दोषी पाया जा चुका है। फैजाबाद और लखनऊ कोर्ट ने दोषी मानते हुए उसे और उसके साथी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।
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इस मामले में राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने हरकत-उल-जिहाद-अल इस्लामी के संदिग्ध आतंकी तारिक काजमी तथा खालिद मुजाहिद को दिसम्बर, 2007 में बाराबंकी जिले में गिरफ्तार किया था। उनके कब्जे से आरडीएक्स तथा डेटोनेटर बरामद हुए थे। दोनों पर गोरखपुर, लखनऊ और फैजाबाद में हुए सीरियल धमाकों में शामिल होने का भी आरोप था।
मामले में सुनवाई के बाद फैजाबाद अदालत ने पिछले साल यानी वर्ष 2019 दिसम्बर में सजा सुनाई थी। उससे पहले लखनऊ की अदालत ने लखनऊ कचहरी में हुए ब्लास्ट में तारिक काजमी को सजा सुनाई थी। अब गोरखपुर की अदालत ने गोलघर सीरियल ब्लास्ट में तारिक को दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई है। फैजाबाद कचहरी विस्फोट की घटना की सुनवाई के बाद मई 2013 में लखनऊ आते समय आतंकी खालिद मुजाहिद की लू लगने से बाराबंकी में मौत हो गई थी। गोरखपुर सीरियल ब्लास्ट से पहले तारिक और खालिद ने आतंक की ट्रेनिंग ली थी। इसके लिए वह श्रीनगर भी गए थे। ट्रेनिंग के बाद रिहर्सल के लिए उन्होंने गोरखपुर के गोलघर को चुना था। दोनों आतंकियों ने स्वीकार किया था कि उन्होंने इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के साथ मिलकर गोरखपुर में भी सीरियल ब्लास्ट की घटना को अंजाम दिया था।
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