टू-जी स्पेक्ट्रम केस : सीबीआई और ईडी की याचिका पर शुक्रवार को भी होगी सुनवाई
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर कल यानि 9 अक्टूबर को भी सुनवाई जारी रखेगा। गुरुवार को आरोपियों की ओर से कहा गया कि वकील एस भंडारी की स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर के रूप में नियुक्ति कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नहीं थी।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान आरोपी सुरेन्द्र पिपारा की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति संबंधी नोटिफिकेशन को पढ़ते हुए कहा कि भंडारी ने अपील दायर किया। लेकिन ये नोटिफिकेशन धारा 24(1) को संतुष्ट नहीं करती है क्योंकि ये नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह के बिना की गई है। उन्होंने कहा कि अगर तुषार मेहता की नियुक्त धारा 24(1) के तहत हुई है तो वो स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर माने जाएंगे।
रिलायंस कम्युनिकेशन की ओर से वकील डीपी सिंह ने कहा कि 8 फरवरी 2018 को इस मामले में तुषार मेहता की नियुक्ति हुई। इस नोटिफिकेशन में मेहता को वरिष्ठ वकील की बजाय केवल एक वकील बताया गया है। टू-जी मामले पर एक अलग कोर्ट का गठन वैसे ही किया गया था जैसे कोयला घोटाला मामले की सुनवाई के लिए अलग कोर्ट है। सरकार ने टू-जी के लिए न केवल स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति की बल्कि पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर की भी नियुक्ति की।
डीपी सिंह ने कहा कि हाल ही में दिल्ली दंगों को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसमें सभी वकीलों की नियुक्ति की गई है। जिसमें सीनियर वकीलों की भी नियुक्ति की गई है। सीनियर वकीलों को दूसरा वकील सहयोग करता है। उन्होंने कहा कि टू-जी केस में जब यूयू ललित की नियुक्ति की गई थी तो सरकार ने एक पब्लिक प्रोसिक्युटर और एडिशनल पब्लिक प्रोसिक्युटर भी नियुक्ति की थी। अगर एस भंडारी की नियुक्ति की गई तो ये फैसले का बाद किया गया। उनकी नियुक्ति 2014 की है। अपील भंडारी की ओर से तैयार नहीं की गई।
सीबीआई ने पिछले 7 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि उसने अपील दायर करने के लिए जरूरी अनुमति ली थी जबकि आरोपियों की ओर से कहा गया कि ये बातें हलफनामे में सीबीआई बताए। आरोपियों की ओऱ से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट से कहा था कि पिछली सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने जिन दस्तावेजों का हवाला दिया था वे नहीं मिले हैं। तब संजय जैन ने कहा था कि सभी पक्षकारों को दस्तावेज मुहैया कराए जाएंगे। संजय जैन ने कहा था कि हाईकोर्ट में अपील दायर करने का फैसला प्रशासनिक प्रकृति का है इसलिए इसे सार्वजनिक करना जरुरी नहीं है। अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 378 का पालन किया गया है और कोर्ट दस्तावेजों से संतुष्ट हो सकती है। किसी को भी इस मामले में अपील दायर करने को लेकर कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
एक आरोपी शाहिद बलवा की ओर से वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा था कि धारा 378 के तहत अभियोजक की भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए। उसमें क्षेत्राधिकार का भी मामला है जिसका निपटारा होना चाहिए। वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि सीबीआई वह दस्तावेज दिखाए जिसके तहत उसे इस अपील को दायर करने की अनुमति मिली। हमारा सीबीआई के प्रति कोई आरोप नहीं है, हम केवल ये चाहते हैं कि प्रक्रियाओं का पालन हो। केवल दस्तावेजों का स्क्रीन शेयर करने से प्रक्रिया का पालन नहीं हो जाता है। सीबीआई को हलफनामे में ये सारी चीजें बतानी चाहिए। उन्होंने कहा था कि सीबीआई को इसके लिए कोर्ट की ओर से औपचारिक नोटिस जारी किया जाना चाहिए।
सीबीआई ने पिछले 6 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया था कि हाईकोर्ट में अपील दायर करने के लिए केंद्र सरकार से जरूरी अनुमति ली गई थी। पिछले 6 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान एएसजी संजय जैन ने कोर्ट को बताया था कि सीबीआई की ओर से वकील एस भंडारी को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त किया गया था। उन्होंने ही टू-जी मामले में सीबीआई की ओर से अपील दायर की थी। केंद्र सरकार ने भंडारी को सीबीआई के सभी मामलों में प्रतिनिधित्व करने की अनुमति दी थी । संजय जैन ने टू-जी मामलों में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त करने के केंद्र के नोटिफिकेशन की प्रति कोर्ट को सौंपा था।
कोर्ट ने पिछले 29 सितंबर को इस मामले पर जल्द सुनवाई की अनुमति दे दी थी। सुनवाई के दौरान सीबीआई और ईडी की ओर से कहा गया था कि जल्द सुनवाई की मांग के पीछे जनहित है। वहीं दूसरी तरफ ए राजा समेत दूसरे आरोपियों ने कहा था कि जल्द सुनवाई की मांग का कोई औचित्य नहीं है क्योंकि हाईकोर्ट के दिशानिर्देश के मुताबिक कोरोना के संकट के दौरान बरी किए जाने के फैसले पर सुनवाई करने में कोई जल्दबाजी नहीं होनी चाहिए।
इस मामले में सीबीआई और ईडी ने ए राजा औऱ कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। 25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था । हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है ।
बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है।