त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार का फैसला, अब उत्तराखंड में बनेंगे “संस्कृत ग्राम”, जानिए वजह
उत्तराखंड के 2 गांव में ग्रामीणों को संस्कृत सिखाने के लिए एक प्रोजेक्ट में प्रगति मिलने के बाद त्रिवेंद्र रावत सरकार ने एक अहम निर्णय ले लिया है। इस निर्णय के मुताबिक उत्तराखंड में अब संस्कृत ग्राम बनाया जाएगा और इसके लिए मंगलवार को अधिकारियों को मंजूरी भी दे दी गई है। इस बैठक की अध्यक्षता उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने की।
इस बैठक में संस्कृत एकेडमी का नाम उत्तरांचल संस्कृत सनस्थनम, हरिद्वार, उत्तराखंड करने का भी निर्णय लिया गया है। संस्कृत उत्तराखंड के लिए बहुत अहम है क्योंकि यह राज्य की दूसरी आधिकारिक भाषा है इसके लिए ही त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने यह बड़ा फैसला लिया है।
इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा के रूप में बढ़ावा देने के लिए उत्तराखंड सरकार ने प्रदेश में संस्कृत ग्राम बनाने का निर्णय लिया है। संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की मंगलवार को हुई बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि भाषाओं की जननी संस्कृत को बढ़ावा देना बहुत जरूरी है, जिससे हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ सके। सरकार के तरफ से जारी एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा कि पहले जनपद एवं उसके बाद ब्लॉक स्तर पर संस्कृत ग्राम बनाए जाए। इस अभिनव कार्यक्रम को लागू करने के लिए राज्यों में सभी जिलों में एक ऐसे गांव का चयन किया जाएगा, जहां कम से कम एक संस्कृत विद्यालय हो।
सीएम ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा कि आज सचिवालय में संस्कृत अकादमी की बैठक में निर्णय लिया कि संस्कृत अकादमी का नाम उत्तरांचल संस्कृत संस्थानम् हरिद्वार, उत्तराखण्ड होगा। भाषाओं की जननी संस्कृत को बढ़ावा देना बहुत जरूरी, जिससे हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ सके। रावत ने कहा कि युवाओं को संस्कृत की अच्छी जानकारी देने तथा समाज तक इसका व्यापक प्रभाव फैलाने के लिए संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के साथ ही उसके शोध कार्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
इस संबंध में, उन्होंने संस्कृत भाषा, वेद, पुराणों एवं लिपियों पर शोध कार्य पर अधिक ध्यान देने की भी जरूरत बताई तथा कहा कि इसके लिए बजट का सही प्रावधान हो और सभी कार्य परिणाम आधारित हों। संस्कृत के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों एवं पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए बजट का प्रावधान करने, डिजिटल लाइब्रेरी बनाने का भी बैठक में निर्णय लिया गया। वर्तमान में, उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा 97 संस्कृत विद्यालय चलाए जा रहे हैं, और इन स्कूलों में हर साल औसतन 2,100 छात्र पढ़ते हैं।