त्रिवेंद्र सिंह रावत का बड़ा बयान, ‘मुझे पद से हटाना सही नहीं था
देहरादून. उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एक महत्वपूर्ण और बड़ा बयान देते हुए कहा कि इस साल 9 अप्रैल को उन्हें पद से हटाने के बारे में उन्हें कोई भनक नहीं थी क्योंकि उनकी सरकार के कामकाज की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा की थी. रावत ने साफ शब्दों में कहा कि उन्हें असमय पद से हटाया गया, इसके बावजूद उन्होंने पार्टी के फैसले को स्वीकार किया. उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीनों पहले रावत ने एक इंटरव्यू में यह बात तब कही है जबकि 21 अगस्त से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा उत्तराखंड के दौरे पर आने वाले हैं. यही नहीं, देवस्थानम बोर्ड एक्ट के मुद्दे पर सीएम पुष्कर सिंह धामी के स्टैंड को भी रावत ने खारिज किया.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले रावत ने द प्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में खुद को सीएम पद से हटाए जाने के कारणों और मौजूदा मुख्यमंत्री धामी की सरकार के कुछ फैसलों को लेकर बातचीत की. 2017 में बहुमत मिलने के बाद सीएम बनाए गए रावत को इस साल अप्रैल में जब पद से हटाया गया तो दो चर्चाएं ज़ोरों पर रहीं, एक ये कि उनकी सरकार ने ‘बेहतर प्रदर्शन नहीं’ किया और दूसरे आगामी चुनाव के लिए भाजपा कोई ‘ताज़ा चेहरा’ चाहती थी. हालांकि इन बातों को रावत ने खारिज किया.
पूर्व सीएम रावत ने इंटरव्यू में दावा किया कि आपदा के बाद केदारनाथ नगरी के पुनर्वास का मामला रहा हो, या लोक कल्याणकारी योजनाओं के अमल का, या फिर अगले चुनाव में बीजेपी की बहुमत के साथ वापसी की योजना को लेकर बातचीत, पीएम मोदी ने हमेशा उनकी तारीफ की. ये बातें करते हुए रावत ने कहा कि अचानक उन्हें सीएम पद से हटाया जाएगा, इसका उन्हें कोई अंदाज़ा नहीं था. ‘इसे सही फैसला नहीं कहा जा सकता, फिर भी पार्टी का आदेश था, तो मैंने संगठन के बेहतर कल के लिहाज़ से स्वीकार किया.’
‘देवस्थानम बोर्ड का विरोध कुछ लोगों का है’
हालांकि पिछले महीने भी रावत ने इस बोर्ड से जुड़े विवाद को खारिज किया था, लेकिन इस इंटरव्यू में उन्होंने साफ तौर पर कहा कि गिने चुने पुरोहित इसका विरोध कर रहे हैं, हो सकता है उनके कुछ स्वार्थ हों. लेकिन यह बोर्ड दुनिया भर के हिंदुओं की आस्था को ध्यान में रखकर बनाया गया है. ‘इस बोर्ड को लेकर समीक्षा करने, पुनर्विचार करने और इसे खत्म करने के बारे में आगे बढ़ने का कोई मतलब नहीं है. यह तब भी बहुमत की सहमति के साथ बना था.’
गौरतलब है कि चार धाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड रावत के कार्यकाल में 15 जनवरी 2020 को बनाया गया था, जिसका विरोध पिछले कुछ समय से तीर्थों के पुरोहित कर रहे हैं. इस विरोध के चलते धामी सरकार ने इस बोर्ड की समीक्षा के लिए एक हाई पावर कमेटी बनाई है. ताज़ा इंटरव्यू में रावत ने तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाए जाने और फिर उन्हें भी हटाए जाने के कारणों के बारे में भी खुद को अनजान ही बताया.