देने वाला दे रहा है , लेने वाला ले रहा है : त्रिवेंद्र सिंह रावत
अपनी ही पार्टी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री जी की कटास।
न्यूज़ नशा की और से शिखर पर उत्तरखंड कार्यक्रम का आयोजन में त्रिवेंद्र सिंह रावत भी बने मुख्य अतिथि ।
न्यूज़ नशा ने शिखर पर उत्तराखंड कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत जी मौजूद हुए थे । तो चलिए जानते है की उनके साथ सवाल जवाब का सिलसिला कैसे हुआ।
विनिता यादव : आपके विभाग अंदाज़ के अनुसार आप अपनी पार्टी में ही घिरते हुए नज़र आये है, तो क्या यही कमी रह गयी की आपने करप्शन नहीं होने दिया ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत: अनुभव के अनुसार राजनीती में केवल ईमानदारी, अच्छा काम करना यही पर्याप्त नहीं है। मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता हूँ और कभी अपने आपको एक राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में नहीं देखता। मेरे जीवन का जो प्रथम खंड रहा है वो मैंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में निभाया है, और इसलिए मेरे काम करने का तरीका भिंन है।
विनिता यादव: काफी समय से आप जैसे नेता को कोई ज़िम्मेदारी देने की चर्चा चल रही है, तो क्या ऐसी ख़बर सुनने की कोई संभावना है ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत: सबसे बढ़ी ज़िम्मेदारी राजनीति में कार्यकर्ता की होती है। कार्यकर्ता होना बढ़ी बात है की हम पार्टी का कोई कार्य है उसे कर रहे है या नहीं और आपका यह पद आपसे कोई नहीं चीन सकता।
विनिता यादव: आप मदरसों के सर्वे के कितने हक़ में है ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत: सरकार की नज़रो में हर चीज़ रेहनी चाहिए। यह दुर्भाग्य है की मदरसों में कई ऐसी सूचनाएं मिली है जो देश और समाज के लिए ठीक नहीं है पर पुलिस और इंटेलिजेंस अपना काम कर रही है।
विनिता यादव: क्या आप कहना चाहते है की अल्पसंख्यक वर्ग निशाने पर नहीं है पर वो लोग निशाने पर है जो कई गलत गतिविधियों से जुड़े है ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत: हमारे देश का चित्र बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसा नहीं है बल्कि बंधुत्व का है। अगर आप भारत में रहते है तो आपको भारत का बनकर रहना चाहिए।
विनिता यादव: आप जैसे ही मुख्या मंत्री बने थे तो आप ऐसी भूमिका में आए जहां आपने अपने विधायकों को भी जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा तो यह दूरियां कैसे उत्पन हुई ?
त्रिवेंद्र सिंह रावत: ऐसा नहीं हो सकता की किसी का राय मशवरा न लिया गया हो, साल भर इस पर चरचार्चा चली। विधान सभा के पोर्टल पर आने के बाद भी किसीने विरोध नहीं किया।
विनिता यादव: यह चर्चाएं होती है की जब नेता कुर्सी पर आते है तो इतना इंतज़ाम कर लेते है की भविष्य की चिंता न रहे परन्तु आज भी जब आपके घर जाए तो आपके ही घर के लोग सेवा में लगे हुए दिखाई देते है ।
त्रिवेंद्र सिंह रावत: सुख तो वास्तव में अंदर है मन में और उस सुख को जानने की आवश्कता है। सोने और खाने के लिए कोई कमी नहीं है, बीवी और बचे दोनों खुश है, यही तो परम सुख है।