ट्रांसजेंडर ने लड़की बनने के लिए ऑनलाइन मांगा डोनेशन, बदले में मिला ये
पुणे. देश में ट्रांसजेंडर को लेकर भले ही कानून लाया गया हो, मगर हमारे समाज में आज भी उन्हें भद्दे कमेंट्स और बेइज्जती का सामना करना पड़ता है. पुणे के एक ट्रांसजेंडर के साथ ऐसा ही मामला सामने आया है. 23 साल के ट्रांसजेंडर ऋषिकेश राउत ने सर्जरी के लिए ऑनलाइन फंडिंग शुरू की थी. लेकिन, बदले में उन्हें ट्रांसफोबिक दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा. उनके लिए ट्रोलर्स ने भद्दे कमेंट्स किए और यहां तक कि जान की धमकी भी दे दी.
ऋषि राउत सर्जरी के जरिए लड़की बनना चाहते हैं. इसके लिए मार्च में उन्होंने जाने-माने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म केटो पर डोनेशन के लिए रिक्वेस्ट डाली थी. उन्होंने कहा, ‘भारत में जहां लोग सहानूभूति, समानभूति और आत्मीयता का व्यवहार दिखाते हैं, वहीं उन्हें नफरत मिली.’ ऋषि राउत बताते हैं, ‘मैंने बहुत डर-डर के ऑनलाइन फंडिंग शुरू की थी. मुझे कुछ डोनेशन भी मिला. मगर ज्यादातर लोगों के हेट कमेंट्स आए. शुरुआत में ये बहुत कम थे. इसलिए मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया.’
इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर में फंड्स आना कम होने लगा. धीरे-धीरे ये बंद हो गया. ऋषि बताते हैं, ‘हेल्थ और इमरजेंसी वर्कर्स को मेरी तुलना में फंड की ज्यादा जरूरत थी.’ जून का महीना समलैंगिक लोगों की अधिकारों की रक्षा के लिए प्राइड मंथ के रूप में मनाया जाता है. ऋषि ने जून से फिर ऑनलाइन फंडिंग शुरू की. लेकिन. इस बार बात कुछ और थी. उनके पेज पर नेगेटिव कमेंट्स आने लगे. लोग ट्रोल करने लगे.’ केटो फंडिंग मांगने वाले लोगों की पूरी प्रोफाइल शो नहीं करता. मगर ट्रोलर्स ने ऋषि को इंस्टाग्राम से सर्च कर लिया और ट्रांसफोबिक हेट कमेंट्स पोस्ट करने लगे.
ऋषि बताते हैं कि ट्रोल्स ने उनके पार्टनर को भी खोज निकाला और प्राइवेट इंस्टाग्राम कमेंट्स पर भी सवाल किए. ये सवाल इतने भद्दे थे कि इन्हें हम खबर में लिख नहीं सकते. ऋषि बताते हैं- ‘उन्होंने मुझसे कहा कि मैं ‘ई-भिखारी हूं. मुझे रास्ते पर जाकर भीख मांगनी चाहिए.’ इसके साथ ही उन्हें जान से मारने की धमकी भी दी गई. ऋषि कहते हैं, ‘उन्होंने कहा कि मैं एक ‘घृणित व्यक्ति हूं और जीने के लायक नहीं हूं.’
वह आगे बताते हैं, ‘मैं ट्रोलर्स से अपनी समझ के मुताबिक डील कर रहा था. लेकिन ये मेरे दिमाग पर असर करने लगा था. एक दिन 15-16 साल के लड़के ने मुझे कहा कि मैं मर क्यों नहीं जाता.’ इसके बाद फिलहाल उन्होंने ऑनलाइन फंडिंग बंद कर दी है.
एक क्विवर के तौर पर ऋषि मिस्ट के साथ काम करते हैं, जो LGBTQIA+ का एक कलेक्टिव ऑर्गनाइजेशन है. हालांकि, अब इस कम्युनिटी के लोगों और संगठनों का समर्थन उन्हें मिलने लगा है. इस आर्टिकल को लिखने तक ऋषि के पास 2 लाख 54 हजार 166 रुपये फंड आ चुके हैं. उन्होंने 7 लाख रुपये फंड का टारगेट रखा है.