आर्थिक तंगी से परेशान व्यापारी, CAIT ने केजरीवाल सरकार से की दो बड़ी मांग
दिल्ली. कोरोना संक्रमण (Coronavirus) की वजह से हुए लॉकडाउन (Lockdown) के चलते 50 दिनों तक दिल्ली में दुकानें और बाजार बंद रहे हैं. अब जब दिल्ली (Delhi) में बाजार खुले हैं तब दिल्ली के व्यापारियों को एक बड़े वित्तीय संकट से जूझना पड़ रहा है. वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन की अवधि में दुकानें एवं अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहने के बावजूद लोगों को अत्याधिक राशि के बिजली के बिल भी प्राप्त हुए हैं, जिसको लेकर व्यापारियों में बेहद रोष और असंतोष है. एक तरफ तो व्यापारी पहले ही पिछले वर्ष से कोरोना की मार झेल रहे हैं. वहीं दूसरी ओर बिजली के बिलों की राशि बेहद ज्यादा होने के कारण दिल्ली में व्यापारियों की हालत लगभग “करेला और वो भी नीम चढ़ा ” वाली हो गई है.
इन बेहद गंभीर परिस्थितियों को देखते हुए कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को एक पत्र भेजकर आग्रह किया है कि दिल्ली के व्यापार और व्यापारियों की वर्तमान हालत को देखते हुए दिल्ली सरकार व्यापारियों के लिए एक कोरोना राहत पैकेज की घोषणा करे. वहीं लॉकडाउन की अवधि के दौरान व्यापारिक एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों को जारी किए गए बिजली के बिल तुरंत वापिस लिए जाएं जिसके लिए दिल्ली सरकार बिजली प्रदान करने वाली कंपनियों को यह आदेश तत्काल जारी करे.
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल एवं दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष विपिन आहूजा ने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना लॉकडाउन में दुकानें बंद होने के बावजूद भी व्यापारियों ने अपने कर्मचारियों को वेतन ही नहीं दिया बल्कि हर प्रकार से उनकी सहायता भी की. वहीं अन्य अनेक प्रकार के व्यापारिक खर्चों को भी व्यापारियों ने खुद ही वहन किया. लेकिन अफ़सोस की बात है कि न तो केंद्र सरकार ने अथवा राज्य सरकार ने व्यापारियों को कोई राहत पैकेज नहीं दिया. जबकि व्यापार एवं अर्थव्यवस्था से जुड़े अन्य सभी क्षेत्रों को अनेक प्रकार के पैकेज दिए गए . उक्त सभी खर्चे करने में व्यापारियों की जमा पूंजी समाप्त हो गई और फरवरी 2021 तक हर कोशिश करने के बाद भी व्यापारी केवल 60 से 70 प्रतिशत व्यापार ही पुनर्जीवित कर पाए.
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब व्यापार पटरी पर लौटना शुरू हुआ, ऐसे में कोरोना की दूसरी लहर आ गई. इसके कारण एक बार फिर दिल्ली में सरकार द्वारा लॉकडाउन के कारण बाज़ारों को बंद किया गया और अब जब बाजार खुले हैं तब अब न तो व्यापारियों के पास कोई जमा पूंजी बची है और न ही आय का कोई अन्य स्त्रोत. इन परिस्थितियों में बड़ा सवाल यह है कि आखिर किस प्रकार से व्यापारी अपने व्यापार को चला पाएंगे. व्यापारियों को अपने व्यापार के माध्यम से न केवल अपने परिवारों का भरण पोषण करना है बल्कि कर्मचारियों को तनख्वाह, बैंक एवं अन्य स्रोतों से लिए गए ऋण पर ब्याज, ऋण की अदायगी, घर, ऑफिस एवं वाहनों की किश्तें, अन्य एस्टब्लिशमेंट एवं ओवरहेड खर्चे आदि शामिल हैं और वर्तमान परिस्थितियों में व्यापारी इन खर्चों को वहन करने की हालत में नहीं है.