बिहार की औद्योगिक राजधानी के हवाई अड्डा पर ट्रैक्टर भरते हैं ‘उड़ान’
बेगूसराय। बिहार की औद्योगिक राजधानी बेगूसराय एक बार फिर से औद्योगिक विकास का उड़ान भरने को तैयार है। लेकिन यहां के लोगों को पता नहीं है कि वे 1939-40 में बने अपने एकलौते हवाई अड्डा उलाव से कब उड़ान भर सकेंगे। रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम उड़ान के तहत चयनित सेवा रहित और कम सेवा वाले बिहार के 26 हवाई अड्डों में इसे भी शामिल किया गया था। 2015 में बिहार सरकार ने बजट पेश करते हुए उलाव हवाई अड्डे का नवनिर्माण, रनवे जीर्णोद्धार की बात कही। जिसके बाद यहां करीब आठ करोड़ की लागत से रनवे का पुनर्निर्माण किया गया, लाउंज बना दिया गया।
भारतीय विमान प्राधिकरण से जुड़े अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया, लेकिन हुआ कुछ नहीं। जिसका नतीजा है कि रनवे बालू माफिया का अड्डा बन चुका है। यहां रोज ट्रक में भरकर बालू लाया और ट्रैक्टरों के माध्यम से सप्लाई किया जाता है। रनवे पर भले ही नहीं अब तक हवाई जहाज उड़ान नहीं भर सका। लेकिन सैकड़ों लोग चार चक्का वाहन चलाना सीख चुके हैं। हालत यह है कि चकाचक बने रनवे की गिट्टी उखड़ चुकी है। रनवे और उसके बगल की खाली जगह पर माफिया ने कब्जा जमा लिया तो लाउंज असामाजिक तत्व और विषैले जीव जंतुओं का अड्डा बन गया है। हालांकि एक सुखद पहलू यह है कि सेना और पुलिस में नौकरी की तैयारी कर रहे सैकड़ों युवा अहले सुबह से ही यहां दौड़ लगाते हैं, एक्सरसाइज करते हैं।
मॉर्निंग वॉक करने वालों के लिए यह परिसर बेहतरीन जगह साबित हो रहा है।
हवाई सेवा शुरू कराने का लगातार प्रयास कर रहे समाजिक कार्यकर्ता राजीव कुमार ने बताया कि आजादी के बाद यहां तीन प्रधानमंत्री इंदरा गांधी, राजीव गांधी और नरेन्द्र मोदी आ चुके हैं। चीन से युद्ध के समय एवं बाढ़ के समय वायुसेना द्वारा इसका इस्तेमाल होता रहा है। औद्योगिक राजधानी बेगूसराय, वाणिज्य-व्यापार का प्रमुख केन्द्र के साथ आर्थिक सम्पन्नता के मामले में बिहार में अव्वल है। शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल एवं कला-संस्कृति के क्षेत्रों में भी एक अलग पहचान है। आसपास से कई नेशनल हाईवे तथा रेलवे लाइन गुजरते हैं। गंगा नदी पर दो रेल एवं एक सड़क पुल चालू है, एक सड़क पुल एप्रोच रोड के इंतजार में है।
यहां एक डबल लाइन रेल पुल एवं सिक्स लेन सड़क पुल तथा फोरलेन का निर्माण चल रहा है। जिसके कारण आसपास के जिलों से निकट भविष्य में कनेक्टिविटी और बेहतर होने जा रही है। बिहार के एक मात्र रिफाइनरी का विस्तारीकरण चल रहा है, बिहार में एकलौते खाद कारखाना का निर्माण हो रहा है। थर्मल का विस्तारीकरण कार्य चल रहा है। जिसके कारण देश-विदेश से आने वाले अधिकारी पटना हवाई अड्डा पर उतर कर चार घंटे सड़क मार्ग से जलालत झेलते हुए यहां आते हैं।
एनटीपीसी बाढ़, सीआरपीएफ मोकामा के साथ लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया इत्यादि जिलों की भौगोलिक स्थिति बेगूसराय से जोड़ती है। यहां से नियमित एवं समुचित कॉमर्शियल हवाई सेवा की शुरुआत होती है तो प्रतिदिन एक सौ से अधिक व्यक्ति हवाई यात्रा कर सकेंगे। उलाव हवाई अड्डा के पास पर्याप्त जमीन है। सरकार द्वारा इसे सुरक्षित करने के लिये 2009-2010 में चाहरदिवारी के लिए आवंटन मिला। लेकिन स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी द्वारा रूचि नहीं लेने के कारण मामला अधर में लटक गया है।