TMC ने ममता बनर्जी को बताया पीएम मोदी का विकल्प, राहुल गांधी को कह दी ये बात
एक ओर जहां लोकससभा चुनाव 2024 से पहले पूरा विपक्ष एक एंटी-बीजेपी मोर्चा बनाने की कवायद में है, ऐसे वक्त में टीएमसी ने एक बड़ा सियासी बम फोड़ दिया है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच संबंध शुक्रवार को उस समय टूट गया, जब तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष का चेहरा बनकर उभरी हैं। टीएमसी ने कहा कि पीएम मोदी का वैकल्पिक चेहरा बनने में राहुल गांधी विफल रहे हैं, इसलिए ममता को ही विपक्ष का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस ने तृणमूल कांग्रेस के दावे को ज्यादा महत्व देने से इनकार करते हुए कहा कि यह अनुमान लगाना जल्दबाजी होगी कि मोदी का वैकल्पिक चेहरा कौन बनेगा।
दरअसल, तृणमूल कांग्रेस के बंगाली मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ के शीर्षक के साथ एक कवर स्टोरी चलाने के बाद विवाद शुरू हुआ। टीएमसी के लोकसभा पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय के हवाले से कहा गया ‘राहुल गांधी विफल रहे, ममता वैकल्पिक चेहरा हैं।’ उन्होंने कहा कि देश एक वैकल्पिक चेहरे की तलाश कर रहा है। मैं राहुल गांधी को लंबे समय से जानता हूं, लेकिन मुझे कहना होगा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वैकल्पिक चेहरे के रूप में उभरने में विफल रहे हैं। लेकिन, ममता बनर्जी एक वैकल्पिक चेहरे के रूप में उभरने में सफल रही हैं।’
टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘हम कांग्रेस के बगैर गठबंधन की बात नहीं कर रहे हैं। पूरा देश ममता को चाहता है, इसलिए हम ममता का चेहरा रखेंगे और प्रचार अभियान चलाएंगे।’बंदोपाध्याय ने हाल ही में एक पार्टी कार्यक्रम में कहा था कि पूरा देश अब ममता बनर्जी का समर्थन कर रहा है।
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुणाल घोष ने शुक्रवार को कहा कि पार्टी का न तो कांग्रेस का अपमान करने का इरादा है और न ही वह इसके बिना केंद्र में भाजपा सरकार के विकल्प के बारे में बात करना चाहती है। टीएमसी के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि इस मुद्दे पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी। बता दें कि ऐसे समय में जब पूरा विपक्ष आगामी लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी एकता कायम करने की कवायदों में लगा हुआ है, ऐसे में टीएमसी का कांग्रेस के खिलाफ यह खुल्लम-खुल्ला ऐलान कहीं- न कहीं विपक्षी एकता की नींव को कमजोर ही करेगा।