देश के इतिहास में पहली इस महीला को दी जाएगी फासी

उत्तर प्रदेश के अमरोहा ज़िले (Amroha) का बावनखेड़ी गांव. बावनखेड़ी गांव देश के हज़ारों-लाखों गांवों जैसी पहचान वाला था, लेकिन आज से करीब 12 साल पहले सन 2008 में अप्रैल की 15 तारीख ने इस गांव की पहचान हमेशा के लिए बदल दी. गांव के भरे-पूरे परिवार के साथ रहने वाली शबनम (Shabnam) नाम की लड़की रात में अचानक दहाड़ मारकर रोने लगती है. चीखें सुन जब गांव के लोग शबनम के घर पहुंचते हैं तो नजारा देख होश उड़ जाते हैं. घर खून से लथपथ होता हैऔर एक नहीं बल्कि सात लाशें फर्श पर बिखरी होती हैं. 25 साल की शबनम चीख-चीख कर बताती है कि लुटेरों ने लूट के लिए उसके परिवार को मार डाला और फरार हो गए. पुलिस पहुंचती है, तफ्तीश होती है और पता चलता है कि मां, बाप, दो भाईयों, एक भाभी, मौसी की बेटी और एक भतीजे को किसी लुटेरे या डकैतों ने नहीं बल्कि उनकी अपनी 25 साल की शबनम ने ही मौत की नींद सुला दिया. उन दिनों स्कूल में पढ़ाने वाली शबनम पोस्टग्रेजुएट है, जबकि जिसके प्यार में उसने ये किया, वो सिर्फ पांचवीं पास. दो साल के मासूम बच्चे को भी उतारा कुल्हाड़ी से मौत के घाट उतारा था.7 लोगो की हत्या मामले में शबनम को होगी फांसी भी दी जाएगी.

 

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