Modi के इस खास अधिकारी को मिला एक्सटेंशन !

Modi के प्रधान सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी छवि एक सुलझे हुए और प्रभावशाली अधिकारी की रही है। लेकिन अब सवाल उठता है

देश की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे होते हैं जो अपनी जगह बनाने में माहिर होते हैं। निपेंद्र मिश्रा उन्हीं में से एक हैं। एक बार फिर उन्हें Modi प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) का चेयरपर्सन बना दिया गया है। यह उनका दूसरा कार्यकाल होगा, जो अगले पाँच साल तक चलेगा।

Modi अब यह सोचना लाजमी है कि आखिर निपेंद्र मिश्रा हैं कौन और ऐसा क्या खास है कि उन्हें बार-बार ये महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी जा रही हैं। मिश्रा जी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी रह चुके हैं और लंबे समय तक प्रधानमंत्री नरेंद्र Modi के प्रधान सचिव के रूप में काम कर चुके हैं। उनकी छवि एक सुलझे हुए और प्रभावशाली अधिकारी की रही है। लेकिन अब सवाल उठता है कि जब उनका कार्यकाल खत्म हो गया था, तो उन्हें वापस क्यों लाया गया?

क्या PMML ही सबसे सही जगह थी?

Modi प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय की जिम्मेदारी कोई मामूली बात नहीं है। यह संस्था देश के प्रधानमंत्रियों के योगदान और इतिहास को सहेजने का काम करती है। लेकिन यह देखना दिलचस्प है कि निपेंद्र मिश्रा जैसे वरिष्ठ अधिकारी को दोबारा इसी पद पर रखा गया। शायद सरकार को लगा कि कोई और इस जिम्मेदारी को संभालने के लायक नहीं है। या शायद यह सरकार की पुरानी आदत है—अपनों को आगे बढ़ाने की।

नई नियुक्तियां, लेकिन पुरानी सोच

इस बार PMML में कुछ नए नाम भी जुड़े हैं। जैसे कि स्मृति ईरानी, जो हर जगह अपनी बहस और विवादों के लिए जानी जाती हैं। फिर हैं राजीव कुमार, जो NITI आयोग के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा सेना के सेवानिवृत्त जनरल सैयद अता हसनैन, जो अपने बेबाक विचारों के लिए जाने जाते हैं। और सबसे रोचक नाम है फिल्म निर्माता शेखर कपूर का। अब सवाल यह उठता है कि इन सभी का प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय से क्या लेना-देना है?

मिश्रा जी की राजनीति में विशेषज्ञता

निपेंद्र मिश्रा को अगर ‘नीति विशेषज्ञ’ कहा जाए तो गलत नहीं होगा। चाहे वह उनके सिविल सर्विस के दिन हों या मोदी सरकार के प्रधान सचिव के रूप में उनकी भूमिका, वह हर बार खुद को साबित करते रहे हैं। लेकिन PMML जैसी संस्था को संभालने के लिए क्या प्रशासनिक अनुभव काफी है? या फिर मिश्रा जी को यह पद उनके पुराने राजनीतिक रिश्तों की वजह से मिला है?

जवाबदेही का सवाल

PMML जैसी संस्था के लिए जरूरी है कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी हो। लेकिन जब नियुक्तियां पुराने संबंधों और सिफारिशों पर आधारित हों, तो सवाल उठना लाजमी है। यह देखना बाकी है कि मिश्रा जी अपने दूसरे कार्यकाल में क्या नया करेंगे।

आखिरकार सवाल वही है

क्या देश में योग्य व्यक्तियों की कमी हो गई है? क्या एक ही व्यक्ति को बार-बार एक ही जगह पर बैठाना जरूरी है? या फिर यह सिस्टम का हिस्सा है कि “अपने आदमी को बनाये रखो”?

Nipendra Mishra

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निपेंद्र मिश्रा की दोबारा नियुक्ति इन सभी सवालों को हवा देती है। देश को उनके अनुभव से फायदा होगा या फिर यह भी सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह जाएगी, यह वक्त बताएगा।

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