ये नंबर बना सकता है तेजस्वी को मुख्यमंत्री….
बिहार की मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 29 नवंबर को समाप्त हो रहा है. बिहार में विधान सभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए मैज़िक नंबर 122 है…बिहार में फ़िलहाल जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी की सरकार है….जदयू नेता नीतीश कुमार राज्य के मुख्यमंत्री हैं जबकि बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी उप-मुख्यमंत्री हैं.ऐसे में इस बार मतदान 28 अक्तूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को होगा…
– 28 अक्तूबर को पहले चरण में 16 ज़िलों की 71 सीटों पर मतदान होगा.
3 नवंबर को दूसरे चरण में 17 ज़िलों की 94 सीटों पर मतदान होगा.
– 7 नवंबर को तीसरे चरण में 15 ज़िलों की 78 सीटों पर मतदान होगा.
– मतों की गणना 10 नवंबर को होगी. बिहार में इस बार कुल वोटर की संख्या करीब 7 करोड़ 30 लाख है.
2015 में नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू ने लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के साथ चुनाव लड़ा था… उस समय जदयू, राजद, कांग्रेस और अन्य दलों को मिलाकर एक महागठबंधन बना था…इन लोगों ने मिलकर सरकार बनाई… मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बने और उप मुख्यमंत्री बने लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव.लेकिन 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोड़ लिया और बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई. तब बीजेपी के पास 53 विधायक थे….कांग्रेस ने पिछला चुनाव राजद, जदयू और अन्य दलों के महागठबंधन में साथ मिलकर लड़ा था और उसे 27 सीटें मिली थीं… बीजेपी की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी 2 सीटें ही जीत सकी थी…
अब आपको बताते हैं उन नेताओं के बारे में जिन पर सबकी नजर रहने वाली है….
नीतीश कुमार: नीतीश कुमार किसी परिचय के मोहताज नहीं. जनता दल यूनाइटेड के मुखिया और मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा भी हैं. एनडीए के सभी घटक दल नीतीश के नेतृत्व में ही बिहार का चुनाव लड़ रहे हैं. नीतीश 2005 से लेकर अब तक बिहार के मुख्यमंत्री है. इस समयावधि में सिर्फ नौ महीने ही ऐसे थे जब जीतनराम मांझी मुख्यमंत्री पद पर थे. वर्तमान समय में नीतीश विधानपरिषद के सदस्य हैं. वह लगातार तीन बार से विधान परिषद के सदस्य हैं और अभी उनका काफी कार्यकाल बचा हुआ है. इस बार नीतीश अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में सफल रहते हैं या नहीं, यह देखना दिलचस्प होगा.
तेजस्वी यादव: लालू प्रसाद यादव के जेल जाने के बाद से तेजस्वी ही राष्ट्रीय जनता दल मुखिया के रूप में काम कर रहे हैं. वह महागठबंधन को भी लीड कर रहे हैं. 2015 में तेजस्वी ने राघोपुर सीट से जीत हासिल की. तब राजद का गठबंधन जदयू के साथ था. नीतीश सीएम बने तो समझौते के आधार पर डिप्टी सीएम का पद तेजस्वी को मिला. हालांकि 2017 में गठबंधन में टूट के चलते तेजस्वी सत्ता से बाहर हो गए और उसके बाद से नेता प्रतिपक्ष के रूप में काम किया. महागठबंधन की ओर से तेजस्वी ही सीएम पद के दावेदार हैं. उनकी और उनके नेतृत्व वाले महागठबंधन की जीत-हार पर हर किसी की नजर है.
चिराग पासवान: लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर काम कर रहे चिराग मुंगेर सीट से सांसद हैं. एलजेपी अब तक एनडीए में घटक दल थी लेकिन चिराग ने हाल ही में नीतीश कुमार के खिलाफ हल्ला बोल कर हर किसी को चौंका दिया. वैचारिक तौर पर चिराग एनडीए के साथ हैं लेकिन नीतीश कुमार का नेतृत्व इन्हें मंजूर नहीं. एलजेपी अध्यक्ष चिराग के नये स्टंट ने बिहार चुनाव में अनुमानित समीकरणों को अस्त व्यस्त कर दिया है. यह देखना दिलचस्प होगा कि चिराग को ये फैसला उनकी पार्टी को चुनाव में फायदा पहुंचाता है या नुकसान.
जीतनराम मांझी: मांझी जनता दल यूनाइटेड की ओर से मई 2014 से फ़रवरी 2015 यानी कुल नौ महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद इन्होंने अपनी अलग हिन्दुस्तान आवाम मोर्चा नाम से नई पार्टी बना ली. पिछले चुनाव में इमामगंज सीट से विधायक चुने गए थे. हाल ही में मांझी ने महागठबंधन से नाता तोड़ एनडीए का दामन थाम लिया है. लेकिन टिकट वितरण में परिवार को तवज्जों देने के आरोप में इन दिनों अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ताओं के विरोध का सामना कर रहे हैं. मांझी की नैया इस बार किस किनारे लगेगी, सबकी नजर इसी तरफ है.
उपेंद्र कुशवाहा: उपेंद्र राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख है. उन्होंने 2019 में काराकाट और उजियारपुर सीटों पर लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए. अब विधानसभा चुनाव में उतरने वाले हैं. उपेंद्र कुशवाहा का बिहार में मायावती की पार्टी बीएसपी और ओवैसी की पार्टी AIMIM के साथ गठबंधन है. उपेंद्र और उनकी पार्टी इस बार बिहार में क्या मुकाम हासिल करेगी, ये चर्चा का विषय है.
मुकेश सहनी: मुकेश खुद को मल्लाहों के नेता के रूप में स्थापित करने में जुटे रहते हैं और विकासशील इंसान पार्टी के प्रमुख हैं. 2019 के लोकसभा चुनाओं में मुकेश की पार्टी ने महागठबंधन के साथ बिहार की तीन सीटों पर चुनाव लड़ा और तीनों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इस बार के विधानसभा के लिए भी मुकेश की पार्टी महागठबंधन के साथ थी लेकिन सीट बंटवारे में अनदेखी से नाराज होकर मुकेश ने अब एनडीए का हाथ थाम लिया है. मुकेश सहनी यहां भी पार्टी को मिली सीटों से खुश नहीं. वह खुद किसी मल्लाह बाहुल्य सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. उनकी जीत उनकी और उनकी पार्टी के राजनीतिक भविष्य के लिए बहुत अहम साबित होगी.
पुष्पम प्रिया चौधरी: पुष्पम प्रिया को वर्ष 2020 की शुरूआत तक कोई नहीं जानता था. मार्च में उन्होंने देश के सभी बड़े अखबारों में अपनी नवगठित प्लूरल्स पार्टी का विज्ञापन देकर खुद को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया. इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी नई पार्टी से चुनाव लड़ने के इच्छुक लोगों से आवेदन भी मांगे. फिलहाल पुष्पम प्रिया की पार्टी 40 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए हैं. वहीं पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद पटना की बांकीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिया है.
पप्पू यादव मधेपुरा सीट से पूर्व सांसद पप्पू यादव जन अधिकार पार्टी (जाप) के मुखिया हैं. 2019 में भी उन्होंने मधेपुरा से लोकसभा का चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. वर्तमान समय में बिहार विधानसभा में पप्पू की पार्टी का एक भी विधायक नहीं है. जबकि पप्पू इस बार के चुनाव में अपनी पार्टी को मजबूती देने के लिए नये समीकरण गढ़ने में व्यस्त हैं. उनकी पार्टी जाप, प्रगतिशील लोकतांत्रिक गठबंधन में है. उनके साथ एसडीपीआई और अन्य कुछ छोटे दल हैं. 33 सीटों पर उनकी पार्टी चुनाव लड़ेगी.