ऐसा ज़बरदस्त सरकारी स्कूल नही देखा होगा, अपने बच्चों को कान्वेंट भेजना भूल जाएंगे!
शिक्षा के क्षेत्र में अक्सर सरकारी स्कूलो का नाम आते ही दिमाग में बदहाली की तस्वीर घूमने लगती है। यही कारण है की लोग सरकारी स्कूलो से ज्यादा प्राइवेट स्कूलो की और अपना रूख कर लेते है | लेकिन अगर सच्ची नीतियां, दृढ़ संकल्प और मेहनत से सरकारी स्कूलों में व्यवस्था सुधर जाए और सुविधाएं बेहतर हो जाए तो न केवल परिणाम अच्छे आएंगे बल्कि बच्चो को नया आयाम मिलेगा | यह केवल सोच नहीं है ऐसा होने भी लगा है। ऐसा ही नजारा मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिला ( कोलारस )अनुविभाग के ग्राम कुम्रौआ में बने स्कूल परिसर में देखने को मिला है। जहां शिक्षको की मेहनत और संकल्प ने सरकारी स्कूल का नक्शा बदलकर रख दिया जिसकी आज चारो ओर चर्चा हो रही है।
शिक्षको की मेहनत ने स्कूल को आज आदर्श स्कूल की तर्ज पर बना रखा है। यह सरकारी स्कूल ऐसा है जो प्राइवेट स्कूलों को मात दे सकता है। ग्राम कुम्रौआ में माध्यमिक विघालय और प्राथमिक विघालय दोनों ही एक ही परिसर में स्थित हैं | जहां प्रभारी प्रधानाध्यापक दिनेश कुमार दिवाकर और शिक्षक जफर मोहम्मद कुरैशी व साथी शिक्षको ने छात्रो के साथ मिलकर इसे धरातल पर साबित कर दिया कि नीयत साफ और मन में सच्चा संकल्प हो तो सब संभव है। स्कूल परिसर में दाखिले के साथ ही यहां का नजारा मनमोहित कर सकता है। शिक्षको की मेहनत से स्कूल परिसर में चारो और फैली हरियाली किसी की भी आंखो को ठंडक देने के लिए काफी है। खुशबूदार फूल मन को राहत दे सकते हैं। विद्यालयों के सामने हरा भरा मिनी गार्डन लगाया गया है। जिन्हें रोज शिक्षको द्वारा पानी दिया जाता है जिससे 44 डिग्री तापमान में भी स्कूल में हरियाली छाई हुई है। कुम्रौआ का स्कूल कोलारस विधानसभा मे सरकारी स्कूलों के लिए मिसाल है | यह स्कूल अन्य स्कूलो के लिए प्रेरणा बन रहा है। कुम्रौआ शासकीय स्कूल के शिक्षक चाहते है कि स्कूल को आर्दश स्कूलो में शामिल किया जाये।
विद्यार्थियों को दी जाती है स्वच्छता की ट्रेनिंग –
स्कूल प्रशासन द्वारा बच्चों को स्वच्छता के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। जिसमें शौचालय, स्कूल प्रांगण को साफ सुथरा रखने जैसे अन्य कार्य शामिल है। इस ट्रेनिंग के तहत प्रतिदिन एक कक्षा के पांच से दस विद्यार्थियों को ट्रेनिंग दी जाती है।
पहले नहीं मिलते थे विद्यार्थी अब खुद आते है बच्चे –
कई सरकारी स्कूलों का तो यह हाल था तो पूरे विद्यार्थी नहीं मिलते थे लेकिन अब हालत बदल रहे हैं कुम्रौआ स्कूल के खूबसूरत और स्वच्छ वातावरण को देखते हुए अब गांव के बच्चे खुद स्कूल में पढ़ने के लिए आते हैं
शिक्षक बताते है कि इससे पहले घर घर बुलाने जाना पड़ता तो भी बच्चे स्कूल आने में बहाने बनाते थे।
स्कूल फंड और कुछ निजी पैसा भी लगाया – दिनेश दिवाकर
प्रभारी प्राधानाध्यापक दिनेश दिवाकर बताते है कि हर साल मिलने वाला पैसा फिजूल खर्च न करते हुए सारा पैसा स्कूल में ही लगाया है। जब कुछ कमी रह जाती या कोई काम पैसे कमी के कारण मन स्वरूप नही हो पाता तो सभी शिक्षक सहयोग से कुछ पैसे अपनी और से मिलाते रहे है जिससे स्कूल में लाईट फिटिंग टेविल कुर्सी, डस्टवीन, पेड़, पौधे, इंग्लिश दूब लगाई गई है।
घर की तरह ही साफ सफाई का रखा खयाल – जफर कुर्रेशी
शिक्षक जफर कुर्रेशी बताते है कि वे स्कूल समय से पहले स्कूल पहुंचते है और घर की ही तरह स्कूल की साफ सफाई के साथ पेड़ पौधो में पानी देते है | कभी कभी लाईट नही आती तो हैडपंप से भी पानी भरना पड़ता है। हम छुटिट्यां भी भूल जाते है ताकी पेड़ पौधो को पानी दे सके ताकि वे सूखे न, वरना इतने तापमान में पेड़ो को बचाना चुनौती है। छात्र भी इसके लिए सहयोग करते रहे है।