यूरोप में एक महीने में 55% से ज्यादा बढ़े कोरोना के नए मामले, हमारे लिए अगले 3 महीने सावधानी बरतने के
यूरोप में पिछले महीने में कोरोना के मामलों में 55% की बढ़ोतरी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि फिलहाल यूरोप कोरोना का एपिसेंटर बना हुआ है। यूरोप और मध्य एशिया के 53 देश में ट्रांसमिशन रेट गंभीर चिंता का विषय है।
यूरोप के साथ ही चीन, अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना केसेस बढ़ने से सरकारें चिंता में हैं। भारत में अभी फेस्टिवल सीजन चल रहा है, जिसमें हजारों लोग एक जगह से दूसरे जगह गए हैं। साथ ही मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग जैसे कोविड प्रोटोकॉल के पालन में भी लापरवाही बरती जा रही है। अगर इसी तरह हालात रहे तो भारत में भी कोरोना के केसेस बढ़ सकते हैं।
समझते हैं, यूरोप में कहां और किस तरह मामले बढ़ रहे हैं? वहां वैक्सीनेशन कितना हुआ है? भारत में फिलहाल कोरोना की क्या स्थिति है? और भारत में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?…
यूरोप में किस तरह बढ़ रहे नए मामले
यूरोप में पिछले 4 हफ्तों में नए कोरोना मामलों की रफ्तार में 55% से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। एक हफ्ते में यूरोप में 1.8 करोड़ नए मामले मिले हैं, जो पिछले हफ्ते के मुकाबले 6% ज्यादा है। ये आंकड़े चिंता बढ़ाने वाले इसलिए हैं, क्योंकि यूरोप की आधी से ज्यादा आबादी पूरी तरह वैक्सीनेटेड है। कई देशों ने तो अपनी 70% से ज्यादा आबादी को वैक्सीन के दोनों डोज दे दिए हैं। इटली, जर्मनी, पुर्तगाल, स्लोवेनिया, ग्रीस और फ्रांस उन देशों में शामिल हैं, जहां नए केसेस की रफ्तार रिकॉर्ड तोड़ रही है।
जर्मनी में 4 नवंबर को 37 हजार से भी ज्यादा नए केसेस सामने आए हैं। इससे पहले 22 दिसंबर को 36 हजार केसेस मिले थे। नवंबर के शुरुआती 4 दिनों में ही 616 लोगों की मौत हो गई है। इसी तरह हंगरी में पिछले एक हफ्ते के मुकाबले नए केसेस में दोगुना बढ़ोतरी हुई है।
भारत में कोरोना की क्या स्थिति है?
हमारे लिए राहत वाली बात ये है कि हर दिन औसतन 12 हजार के आसपास नए केसेस मिल रहे हैं। अक्टूबर की शुरुआत में यही औसत 23 हजार के आसपास था। ज्यादातर नए केसेस चुनिंदा राज्यों से आ रहे हैं।
वैक्सीनेशन के लिहाज से भारत की 22% आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेट हो पाई है। वहीं, 52% को वैक्सीन का सिंगल डोज लग चुका है।
हमारे लिए चिंता की बात क्या है?
फेस्टिवल सीजन में लोगों की बढ़ती लापरवाही कोरोना की रफ्तार को बढ़ा सकती है। दिवाली की वजह से लाखों लोगों ने एक जगह से दूसरी जगह ट्रैवल किया है। 4 नवंबर को 5.19 लाख लोगों ने फ्लाइट के जरिए यात्रा की है। इनमें से 70 हजार लोग इंटरनेशनल ट्रेवलर्स हैं। इसी तरह लाखों लोगों ने ट्रेन के जरिए भी यात्रा की है।
क्या यूरोप के बढ़ते केसेस से हमें चिंतित होने की जरूरत है?
महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक,
दरअसल किसी भी बीमारी में 3 अलग-अलग एलीमेंट होते हैं। ये हैं एजेंट, होस्ट और एनवॉयरमेंट। एजेंट यानी वायरस जो बीमारी का कारण है। दूसरा होस्ट यानी बीमार होने वाला इंसान और तीसरा एनवॉयरमेंट यानी आसपास का वातावरण।भारत में पहले से ही काफी लोग संक्रमित हो चुके हैं। इस वजह से लोग कोरोना वायरस के प्रति नेचुरली इम्यून हो गए हैं। नेचुरल इम्यूनिटी हमेशा वैक्सीन के इम्यूनिटी से बेहतर होती है। यही वजह है कि भारत में इंफेक्टशन का रेट कम है।भारत और यूरोप में वायरस तो एक ही है लेकिन भारत में डेल्टा वैरिएंट पहले आ गया था इस वजह से लोगों में इम्यूनिटी बनी हुई है।दूसरे देशों में लोगों को पहले वैक्सीन दे दी गई, उसके बाद वे कोरोना से संक्रमित हुए। भारत में इसका उलटा हुआ। लोग पहले इन्फेक्ट हो गए और उन्हें वैक्सीन बाद में मिली। हमारी बेहतर इम्यूनिटी के लिए ये भी बड़ा कारण है।भारत में यूरोप की तरह केसेस बढ़ने की संभावना काफी कम है, क्योंकि दोनों जगहों का एनवॉयरमेंट बहुत अलग है। यूरोपीय देशों में सर्दियां बहुत तेज होती हैं, इस वजह से वे लोग बंद एनवॉयरमेंट में रहते हैं। वहां आमतौर पर फ्लू भी सर्दियों के मौसम में ही ज्यादा फैलता है, क्योंकि यूरोप में अभी सर्दियां शुरू हो रही हैं इसलिए वहां केसेस रफ्तार पकड़ने लगे हैं।
क्या भारत में भी बढ़ सकते हैं केसेस?
हां। अगर लोग इसी तरह लापरवाही बढ़ती रही, तो केसेस बढ़ सकते हैं। अभी तक ये देखने में आया है कि किसी भी पब्लिक इवेंट के बाद केसेस बढ़े हैं। अगले 3 महीने तक हमें सतर्कता बरतने की जरूरत है। अगर लापरवाही बरती तो केसेस बढ़ सकते हैं, भले ही उनकी रफ्तार यूरोप में बढ़ रहे केसेस जितनी न हो।साथ ही हमें ये भी समझना होगा कि वैक्सीन कभी भी कोरोना से बचने की गारंटी नहीं है। आप वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी बेफिक्र नहीं हो सकते। वैक्सीन के साथ ही आपको कोविड प्रोटोकॉल का भी पालन करना होगा।
दुनिया में और कहां-कहां बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले?
दुनिया के कई बड़े देशों में कोरोना के नए केसेस बढ़ने लगे हैं। इन देशों में अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और बेहद सावधान रहने वाला न्यूजीलैंड जैसा देश भी शामिल है। इनमें से ज्यादातर देशों में अच्छी खासी आबादी को वैक्सीन दी जा चुकी है। अमेरिका और ब्रिटेन में तो बूस्टर डोज भी दी जा रही है।
केसेस बढ़ने के बाद चीन ने जीरो कोविड पॉलिसी पर काम करना शुरू कर दिया है, वहीं रूस ने पूरे देश में 7 नवंबर तक नॉन-वर्किंग डे डिक्लेयर कर दिया है। पार्क, थियेटर और मॉल्स बंद कर दिए हैं और बिना वजह घर से बाहर निकलने पर सख्त पाबंदी लगा दी गई है। अमेरिका के भी 50 में से 17 राज्यों में कोरोना केसेस बढ़ने लगे हैं।
दुनिया में पहली और दूसरी लहर आने के कितने समय बाद भारत में बढ़े थे केसेस?
पहली लहर
अमेरिका में पहली लहर जुलाई के दौरान पीक पर थी। इस दौरान अमेरिका में रोजाना 65 हजार के आसपास नए केसेस आ रहे थे। भारत में पहली लहर के दौरान सबसे ज्यादा केसेस सिंतबर में आए थे। तब रोजाना औसतन 90 हजार केसेस मिल रहे थे। भारत में ये पहली लहर का पीक था। इस आधार पर ये कहा जा सकता है कि अमेरिका में केसेस बढ़ने के दो महीने बाद भारत में केसेस ने रफ्तार पकड़ी थी।
दूसरी लहर
अक्टूबर 2020 में अमेरिका और यूरोप में केसेस दोबारा बढ़ने लगे। जनवरी 2021 तक अमेरिका और यूरोप में हर रोज ढाई लाख के आसपास नए केसेस आने लगे। फरवरी में केसेस कुछ कम हुए, लेकिन मार्च में दोबारा बढ़े। मार्च में ही भारत में भी केसेस रफ्तार पकड़ने लगे और मई तक पीक पर पहुंच गए। यानी अमेरिका और यूरोप में केसेस बढ़ने के दो महीने बाद भारत में भी केसेस बढ़े।
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