यूरोप-केरल में दोनों डोज लगवा चुके लोगों को फिर से हो रहा कोरोना, क्या ये हमारे लिए खतरे का संकेत?
केरल में कोरोना के ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। रोजाना आ रहे कुल केसेस में से करीब 40% मामले ऐसे हैं, जो ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के हैं। ब्रेकथ्रू इंफेक्शन, यानी वैक्सीन के दोनों डोज लेने के बाद भी कोरोना से संक्रमित होना।
जिस तरह केरल में ब्रेकथ्रू केसेस बढ़ रहे हैं, उसी तरह यूरोप के भी कई देश नए केसेस से परेशान हैं। यूरोप में कोरोना के नए केसेस रोज नए रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। हमारे लिए ये चिंता वाली बात इसलिए है कि भारत में कोरोना की शुरुआत केरल से ही हुई थी और अब वहां वैक्सीनेट लोग भी संक्रमित हो रहे हैं। साथ ही अगर बाकी राज्यों में भी कोरोना के ब्रेकथ्रू केसेस बढ़ते हैं, तो हो सकता है आपको वैक्सीन का बूस्टर डोज भी लेना पड़े।
समझते हैं, केरल में किस तरह बढ़ रहे हैं ब्रेकथ्रू केसेस? यूरोप में कोरोना किस तरह रिकॉर्ड तोड़ रहा है? क्या यूरोप और केरल के बढ़ते केसेस आपके लिए चिंताजनक है? और आखिर में समझेंगे कि ब्रेकथ्रू इंफेक्शन होता क्या है?
केरल में किस तरह बढ़ रहे हैं ब्रेकथ्रू केसेस?
केरल में कोरोना केसेस की रफ्तार जरूर कम हुई है, लेकिन अभी भी पूरे देश में सबसे ज्यादा केस केरल में ही आ रहे हैं। केरल में पिछले एक हफ्ते से रोजाना औसतन 6,600 नए केसेस आ रहे हैं। चिंता वाली बात ये है कि कुल केसेस में करीब 40% मामले ब्रेकथ्रू इंफेक्शन के है, जबकि राज्य की 95% आबादी को वैक्सीन का सिंगल डोज और 60% को दोनों डोज लग चुके हैं।
यूरोप में किस तरह बढ़ रहे हैं कोरोना के मामले?
यूरोप में पिछले एक हफ्ते में कोरोना के 20 लाख से ज्यादा नए केसेस मिले हैं। ये एक हफ्ते में मिले अब तक के सबसे ज्यादा केस हैं। फिलहाल कोरोना की वजह से हो रही कुल मौतें में से करीब आधी मौतें यूरोपीयन देशों में हो रही हैं। साथ ही कुल केसेस के 60% केस यूरोप में आ रहे हैं। चिंता वाली बात ये है कि केसेस उन देशों में भी बढ़ रहे हैं जहां आधी से ज्यादा आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है। इसलिए कई देश अपने नागरिकों को बूस्टर डोज भी दे रहे हैं।
जर्मनी में 10 नवंबर को 51 हजार नए केसेस मिले हैं, ये अब तक एक दिन में मिले सबसे ज्यादा केसेस हैं। जबकि, जर्मनी की 67% आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है।इसी तरह ब्रिटेन में भी हर रोज औसतन 37 हजार नए केसेस आ रहे हैं, जबकि ब्रिटेन की 68% आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है।
कोरोना से निपटने के लिए केरल सरकार द्वारा बनाए गए एक्सपर्ट ग्रुप के डॉक्टर अनीश टीएस ने भी केरल सरकार को चेताया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि महामारी विज्ञान की दृष्टि से केरल और यूरोप में कई समानताएं हैं। वहां अगर केसेस बढ़ रहे हैं, तो आशंका है कि केरल में भी केसेस बढ़ सकते हैं।
क्या यूरोप और केरल के कोरोना केसेस में कुछ कनेक्शन है?
जून 2021 में यूरोप और केरल में नए केसेस का ट्रेंड एक जैसा था। 15 जून तक यूरोप में रोजाना करीब 38 हजार औसतन कोरोना केसेस आ रहे थे, जो जुलाई तक डेढ़ लाख तक पहुंच गए थे। इसी तरह जून के आखिरी हफ्ते में केरल में 11 हजार के आसपास नए केसेस आ रहे थे, जो जुलाई के आखिर तक बढ़कर 21 हजार पर पहुंच गए थे।पिछले साल जुलाई में यूरोप और केरल में एक साथ कोरोना के केसेस रफ्तार पकड़ने लगे थे, जो अक्टूबर तक पीक पर पहुंच गए। इस दौरान यूरोप और केरल दोनों जगह नए केसेस का ट्रेंड लगभग एक जैसा था।केरल और यूरोप में मार्च 2021 के आखिर से कोरोना केस बढ़ने लगे। केरल में मई तक नए केसेस अपने पीक पर पहुंच गए थे। हालांकि, यूरोप में नए केसेस का पीक अप्रैल में ही आ गया था।
यूरोप का कोरोना ट्रेंड आपके लिए क्यों चिंताजनक है?
भारत में वैक्सीनेशन की दर यूरोपीय देशों के मुकाबले काफी कम है। भारत की 26% आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेट हुई है, वहीं, यूरोप की आधी से ज्यादा आबादी पूरी तरह वैक्सीनेट हो चुकी है। यूरोप के कई देशों में फुली वैक्सीनेटेड लोगों की 75% से भी ज्यादा है।
महामारी विशेषज्ञ डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया के मुताबिक, भारत में यूरोप की तरह केसेस बढ़ने की संभावना काफी कम है, क्योंकि दोनों जगहों का वातावरण बहुत अलग है। यूरोपीय देशों में सर्दियां बहुत तेज होती है, इस वजह से वे लोग बंद एनवॉयरमेंट में रहते हैं। वहां आमतौर पर फ्लू भी सर्दियों के मौसम में ही ज्यादा फैलता है, क्योंकि यूरोप में अभी सर्दियां शुरू हो रही हैं इसलिए वहां केसेस रफ्तार पकड़ने लगे हैं। साथ ही इन देशों में लोगों की लापरवाही भी बढ़ी है। लोग कोविड प्रोटोकॉल का पालन नहीं करते हैं। अगर भारत में भी लोग इसी तरह लापरवाही बरतते रहे तो भारत में भी केसेस बढ़ सकते हैं।
केरल में ब्रेकथ्रू इंफेक्शन बढ़ रहा है, ये क्या होता है?
ब्रेकथ्रू इंफेक्शन का मतलब पूरी तरह वैक्सीनेट होने के बाद भी इंफेक्ट हो जाना। यानी, आपने कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले ली, उसके बावजूद आपको फिर से कोरोना हो गया। इस तरह के इंफेक्शन को ब्रेकथ्रू इंफेक्शन कहा जाता है।
खबरें और भी हैं…