देश में कोरोना का ट्रेंड

वैक्सीनेशन और हर्ड इम्युनिटी देश को संक्रमण की तीसरी लहर से बचाएंगे

देश में अब तक 35% आबादी को सिंगल डोज लगाए जा चुके हैं। 65% आबादी में एंटीबॉडी मौजूद है, इसलिए खतरा कम।

दूसरी लहर पहली लहर के पीक के 6 महीने बाद आई थी, दूसरी लहर का पीक गुजरे 4 महीने हुए

देश में कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं को लेकर चर्चा फिर से जोरों पर है। ज्यादातर वैज्ञानिकों का मानना है कि अभी तीसरी लहर की आशंका नहीं है। कुछ कह रहे हैं कि अक्टूबर में आ सकती है। लेकिन, पिछला ट्रेंड और बदली हुई परिस्थितियां संकेत दे रही हैं कि तीसरी लहर कर खतरा बेहद कम है। वैज्ञानिक इसकी दो प्रमुख वजह बता रहे हैं। पहली- देश की 35% आबादी को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। अगले दो महीने में सिंगल डोज लगाने वालों की संख्या 50% पार हो सकती है।

दूसरी वजह- देश की 65% आबादी में एंटीबॉडी पाई गई है। एंटीबॉडी संक्रमण होने के बाद ही बनती है। इसे हर्ड इम्युनिटी कहा जाता है। यानी, इतनी बड़ी आबादी को दोबारा संक्रमण का खतरा अगले छह महीने तक नहीं के बराबर है। क्योंकि, शरीर में एंटीबॉडी औसतन छह महीने तक रहती है।

4 प्रमुख बातें, जो बताती हैं कि देश फिलहाल खतरे के चक्र से दूर

1. देश में सक्रिय मरीजों की कुल संख्या अब सिर्फ 3.10 लाख
5 महीने पहले 19 मार्च को देश में सक्रिय मरीजों की संख्या 3 लाख पार हुई थी। अब फिर से 3 लाख से कम होती दिख रही है।

2. साथ ही सक्रिय मरीजों का औसत भी अब सिर्फ 0.98%
यानी जैसी स्थिति कोरोना के शुरुआती दौर में थी, वैसी ही अभी है। मार्च 2020 के बाद ही संक्रमण की रफ्तार बढ़ी थी।

3. देश में अब हर 1,000 टेस्ट में 19 मरीज मिल रहे हैं
संक्रमण की दर (साप्ताहिक) अब 1.9% है, जो 60 दिन में सबसे कम। केरल व 4 पूर्वोत्तर राज्यों में दर 10% से ज्यादा।

4. कोरोना को हराने वालों की दर 97.7% पहुंची
21 महीने के कोरोनाकाल में कुल 3.25 करोड़ मरीज दर्ज हुए, इनमें 3.18 करोड़ ठीक हो चुके हैं। 4.35 लाख बच नहीं पाए हैं।

7 दिन में भारत में नए मरीजों और मौतों में गिरावट, जबकि अमेरिका-ब्रिटेन में बढ़ोतरी

WHO की चीफ साइंटिस्ट ने कहा- भारत में संक्रमण फैलने की दर अब कम
WHO की चीफ साइंटिस्ट डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने मंगलवार को उम्मीद जगाने वाला बयान दिया। कहा- ‘भारत में संक्रमण फैलने की दर अब कम या मध्यम है। इसे एंडेमिक, यानी स्थानिक स्तर कह सकते हैं। यह एपिडेमिक, यानी महामारी के स्तर से अलग होती है।

जिन्हें अभी एक ही डोज लगी, वे भी गंभीर संक्रमण से बच जाएंगे
केरल, महाराष्ट्र, असम को छोड़कर अन्य सभी राज्यों में खतरा कम… क्योंकि एंटीबॉडी ज्यादा
आईसीएमआर की ओर से कराए गए सीरो सर्वे में सामने आया कि देश की 65% आबादी में एंटीबॉडी है। यह सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में 79% राजस्थान में 76.2%, बिहार में 75.9%, गुजरात में 75.3% और छत्तीसगढ़ में 74.6% आबादी में मिली। इस हिसाब से इन राज्यों में तीसरी लहर का खतरा कम है।

वहीं, दूसरी ओर केरल में 44.4%, असम में 50.3% और महाराष्ट्र में 58% आबादी में एंटीबॉडी मिली। यानी, इन राज्यों में अब तक संक्रमण से बचे हुए लोगों की संख्या अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। इसलिए, इनमें यदि वैक्सीनेशन ने रफ्तार नहीं पकड़ी तो संक्रमण का खतरा बना रहेगा।

टीके नहीं लगवाने वालों में एंटीबॉडी नहीं… उन्हें बेहद सतर्क रहना होगा
नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन के प्रो. नरेंद्र अरोड़ा, चेयरमैन, देश में 45.61 करोड़ लोगों को पहली डोज, 13.28 करोड़ को दोनों डोज लग चुकी हैं। यह आबादी अब कोरोना के गंभीर संक्रमण के खतरे से बाहर है। इन्हें अगर संक्रमण होता भी है तो बहुत कम लोगों को अस्पताल की जरूरत पड़ेगी।

प्रो. अरोड़ा का यह भी कहना है कि जिन लोगों में एंटीबॉडी है, उन्हें भी खतरा कम है। लेकिन, जिन लोगों को न टीके लगे हैं और न ही उनमें एंटीबॉडी है, वे संक्रमण का शिकार पहले हो सकते हैं। लेकिन… तीसरी लहर को रोकने के लिए अब भी सबसे बड़ा हथियार एहतियात ही… यानी मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग।

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