शिक्षक भर्ती: ग्रेजुएशन में 50% से कम पाने वालों को भी टीचर-हेडमास्टर बनने का मौका, हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों के लिए 17 अक्तूबर को 1894 पदों के लिए आयोजित सहायक अध्यापक व प्रधानाध्यापक भर्ती परीक्षा में स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक वाले अभ्यर्थियों को भी शामिल करने का निर्देश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति केजे ठाकर एवं न्यायमूर्ति सुभाष चंद्र की खंडपीठ ने सुरेंद्र कुमार पटेल, जगन्नाथ शुक्ल व कई अन्य अभ्यर्थियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिया है। दर्जनों अभ्यर्थियों ने याचिका दाखिल कर परीक्षा में शामिल होने देने की अनुमति मांगी थी। याचियों की ओर से अधिवक्ता अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि अशासकीय जूनियर हाईस्कूलों में प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक भर्ती के लिए जारी विज्ञापन में सिर्फ उन्हीं अभ्यर्थियों को आवेदन की अनुमति दी गई है जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा अंक हैं।
अग्निहोत्री त्रिपाठी का कहना था कि एनसीटीई ने 2009 के रेगुलेशन के तहत बीएड के लिए स्नातक में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना अनिवार्य किया था। जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने नीरज कुमार राय के केस में इस नियम को सही नहीं माना और इसे अनुच्छेद 14 का उल्लंघन मानते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद एनसीटीई ने 11 नवंबर 2019 को अधिसूचना जारी कर कहा कि स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक प्राप्त करने वाले भी बीएड कर सकते हैं। मांग की गई है कि एनसीटीई की अधिसूचना के आलोक में उन अभ्यर्थियों को भी परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी जाए जिनके स्नातक में 50 प्रतिशत से कम अंक हैं। कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत ऐसे अभ्यर्थियों को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति दी है। साथ ही राज्य सरकार व अन्य पक्षकारों से इस मामले में जवाब भी मांगा है।