मोदी जीते तो पर योगी के मंत्रियों ने भद्द पिटा दी!
लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर ऐसी आयी कि अब बीजेपी का कोई विपक्ष बचा ही नहीं है | उत्तर प्रदेश एक ऐसी जगह है जहाँ से देश की राजनीति तय होती है वहां भी नरेंद्र मोदी की लहर ने महागठबंधन को पछाड़ दिया लेकिन इस सब के बावजूद कुछ ऐसी सीटें रही है जहाँ बीजेपी अपनी छः में से एक भी सीट नहीं बचा पायी | योगी के मंत्रियो की यह एक बहुत बड़ी हार है | उत्तर प्रदेश का पूरा एक ज़ोन है, जिसमें भाजपा एक भी सीट नहीं जीत पाई है | पूरे ज़ोन की सभी सीटो पर सपा-बसपा और रालोद के महागठबंधन को जीत मिली है या यूँ कहे कि राज्य में कमजोर पड़े गठबंधन ने यहाँ बीजेपी के घर में सेंध लगा दी |
मुरादाबाद मंडल की सभी छः सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की है | इस मंडल में जिन छः सीटों की हम बात कर रहे हैं, वे हैं मुरादाबाद,अमरोहा, बिजनौर, संभल, नगीना और रामपुर | बता दें की अमरोहा से चेतन चौहान, संभल से गुलाबदेवी , मुरादाबाद से चौधरी भूपेंद्र सिंह और रामपुर से बलदेव सिंह योगी सरकार में मंत्री है | लेकिन इस सब के बावजूद बीजेपी को यहाँ से हार का सामना करना पड़ा |
इस सीटों पर बीजेपी का वर्चस्व माना जा रहा था | इन सभी सीटों पर बीजेपी के ही मंत्री प्रभारी थे लेकिन महागठबंधन ने यह सभी छः सीटें जीत ली | पूरे उत्तर प्रदेश में गठबंधन का गणित सिर्फ इसी इलाके में सटीक बैठा है | कई सालों तक रामपुर से विधायक रहे सपा नेता आज़म खान इस बार सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे | वहीं बीजेपी ने जयाप्रदा को आजम खान के सामने उतरा था | जयाप्रदा पहले भी रामपुर सीट से सांसद रह चुकी हैं और वो भी सपा के टिकट पर | इस बार के लोकसभा चुनावों की जब काउंटिंग शुरू हुई तो शुरूआती कुछ चरणों तक जयाप्रदा आगे रहीं लेकिन आज़म खान ने बाद के चरणों में बढ़त बनाई | इस सीट पर आज़म खान की जीत का अंतर 1.09 लाख का रहा |
अमरोहा एक ऐसी सीट जहाँ से पिछली बार भाजपा बड़े अंतर से जीती थी | लेकिन इस बार यहां से गठबंधन को जीत मिली | यह एक मुस्लिम बहुल सीट है और इस सीट पर ध्रुवीकरण का हिसाब भी लम्बे समय तक देखा गया है | बीते लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कंवर सिंह तंवर 1.58 लाख वोटों से जीते थे | इस चुनाव के पहले गठबंधन पुख्ता हुआ और बसपा प्रत्याशी कुंवर दानिश अली ने कंवर सिंह तंवर को 63 हज़ार वोटों से हरा दिया |
मुरादाबाद सीट पर सपा ने एसटी हसन को टिकट दिया था | जिनके सामने थे बीजेपी के पूर्व सांसद कुंवर सर्वेश सिंह बताया जाता है उनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ रही | लेकिन इस बार वो पकड़ काम नहीं आई | समाजवादी पार्टी के एसटी हसन 97 हजार वोटो के अंतर से यह चुनाव जीत गए | चुनाव के दौरान यह भी कयास लगाए जा रहे थे कांग्रेस प्रत्याशी इमरान प्रतापगढ़ी अच्छी संख्या में मुस्लिम वोट काटेंगे और एसटी हसन का नुकसान करेंगे | ऐसे में संभावना थी कि सर्वेश सिंह जीत भी सकते हैं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं |
सम्भल की सीट पर भाजपा की ओर से चुनाव लड़ रहे थे परमेश्वर लाल सैनी। यहां से पिछले लोकसभा चुनाव में सत्यपाल सिंह सैनी को जीत मिली थी | वहीँ सपा की ओर से शफीकुर्रहमान बर्क लड़ रहे थे | चुनाव प्रचार के दौरान ही यह साफ़ हो गया कि सपा के प्रत्याशी शफीकुर्रहमान बर्क को अच्छी बढ़त हासिल है | इलाके से कई बार सांसद चुने जाने की वजह से उन्हें परमेश्वर सैनी के मुकाबले पकड़ भी मिली हुई थी | नतीजे आए तो बर्क ने सैनी को 1.74 लाख वोटों से हरा दिया |
नगीना सीट से भाजपा के सिटिंग सांसद यशवंत सिंह को हार का सामना करना पड़ा | पिछले लोकसभा चुनाव में यशवंत सिंह 92 हज़ार वोटों से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे | इस बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे गिरीश चंद्र ने उन्हें 1.66 लाख वोटों से शिकस्त दी है |
वहीं बिजनौर की सीट से भी महागठबंधन ने जीत हासिल की है | यहाँ से भरतेंद्र सिंह बीजेपी की और से खड़े थे और राजा भरतेंद्र का क्षेत्र में काफी नाम हुआ करता है | पिछले लोकसभा चुनाव में सिंह को दो लाख से भी ज्यादा वोटों से जीत मिली थी | लेकिन इस बार पुराने बसपा नेता मलूक नागर उनके सामने थे | 69 हज़ार वोटों से चुनाव जीत गए |
इन सभी सीटों से 2014 में बीजेपी को बड़ी जीत मिली थी लेकिन इस बार यहाँ से गठबंधन ने जीत हासिल की है | हालांकि सम्भल और रामपुर की सीटों पर भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया था क्योकि उन्हें डर था की यहाँ से जो पहले संसद थे वह हार सकते है , लेकिन इसका भी बीजेपी को कोई लाभ नहीं मिला |