कोरोना से मौत को लेकर मीडिया कवरेज पर नहीं लगेगी रोक, तुरंत दें 50000 रुपये का मुआवजा: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली. बुधवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि कोरोना संक्रमण (Covid-19) के बाद मौत को लेकर मुआवजा मांगने वालों की संख्या बढ़ गई है. सरकार ने कहा कि इसकी पीछे ये वजह नहीं है कि मौत की संख्या को गलत बताया गया बल्कि इसका कारण ये है कि कोर्ट ने मुआवजे के लिए क्राइटेरिया को और बढ़ा दिया है. बता दें कई राज्यों में कोरोना से मौत की अधिकारिक संख्या से भी ज़्यादा लोग मुआवजे के लिए पहुंच रहे हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वो उन सभी लोगों को 50 हज़ार रुपये का मुआवजा दें जिनके परिवार के किसी सदस्य की मौत कोरोना से हुई हो. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कोरोना से मौत को लेकर मीडिया कवरेज पर रोक नहीं लगेगी.
गुजरात सरकार की तरफ से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट में कोरोना से हुई मौत के आंकड़ों पर मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी. उनकी दलील थी की मौत की संख्या को मीडिया में गलत बताया जा रहा है. लेकिन कोर्ट ने इस पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुआवजा लेने के लिए आवदेन बढ़ रहे हैं तो उसे बढ़ने देना चाहिए और सरकार को बिना चिंता किए लोगों की मदद पर ध्यान लगाना चाहिए. साथ कोर्ट ने कहा कि लोगों को तुरंत 50000 रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए.
मुआवजा देना फिलहाल जरूरी
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा, ‘हो सकता या ऐसा नहीं भी हो सकता है कि मौत की संख्या को लेकर सही रिपोर्टिंग न हो रही. हम इस पर बात नहीं कर रहे हैं कि सरकार का काम है कि वो लोगों को मदद करे.’ बता दें कि गुजरात की सरकार का कहना है कि कोरोना से वहां कुछ हज़ार लोगों की ही मौत हुई है. जबकि विपक्ष का कहना है कि इस महामारी से लाखों लोगों की मौत हुई.
महाराष्ट्र सरकार को फटकार
गुजरात सरकार ने हलफनामे में कहा है कि अब तक उन्हें मुआवजे के लिए 40467 आवेदन मिले हैं. इनमें से अब तक 26836 को अप्रूवल मिल चुका है. जबकि 23848 परिवारों को मुआवजे के पैसे दे दिए गए हैं. इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट को कहा गया कि महाराष्ट्र में अब तक सिर्फ एक हज़ार परिवारों को मुआवजा मिला है. जबकि अब तक 85 हज़ार परिवारों ने मुआवजे के लिए आवेदन किया है. कोर्ट ने सरकार को मुआवजे बांटने के लिए 10 दिनों का समय दिया है.
सरकार विज्ञापन दे
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को हिदायत दी है कि वो अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में विज्ञापन दें और लोगों को बताएं कि वो कैसे मुआवजे के लिए वो आवेदन कर सकते हैं.