राजस्थान में पेट्रोल-डीजल की VAT दरों पर आज होगा बड़ा फैसला, मिल सकती है राहत
जयपुर. राजस्थान के वाशिंदों को आज पेट्रोल-डीजल की कीमतों (Petrol-Diesel Price) को लेकर बड़ी खुशखबरी मिल सकती है. गहलोत कैबिनेट आज मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद् की बैठक में विचार मंथन करने के बाद पेट्रोल और डीजल पर वैट (VAT) में कमी करने पर फैसला करेगी. हालांकि राज्य की वर्तमान आर्थिक परिस्थितियों के मद्देनजर यह माना जा रहा है कि गहलोत सरकार बहुत बड़ी राहत देने की स्थिति में नहीं है. लेकिन फिर भी इसमें राहत मिलने के आसार जताये जा रहे हैं.
केन्द्र सरकार की ओर से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम किए जाने के बाद कई राज्यों ने अपने यहां इन पर लागू वैट की दरों में कमी कर दी है. उसके बाद राजस्थान सरकार पर भी पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने का दबाव है. लेकिन कोरोना काल के बाद राज्य की आर्थिक हालत खराब है. इतना ही नहीं केन्द्र से राज्य के हिस्से का पैसा भी समय पर नहीं मिल रहा है. ऐसे में पेट्रोल-डीजल पर वैट में कमी राज्य सरकार के लिए बड़ी चिंता बनी हुई है. यही वजह है कि अभी तक राजस्थान में पेट्रोल-डीजल पर वैट दरें कम करने पर निर्णय नहीं हो पाया है.
गहलोत सरकार आज होने वाली वाली मंत्रिमंडल और मंत्रिपरिषद् की बैठक में विचार मंथन करने के बाद वैट में कमी करने या नहीं करने पर फैसला करेगी. कांग्रेस शासित पंजाब राज्य में आगामी कुछ महीनों में चुनाव होने वाले हैं. वहां केन्द्र के कदम के बाद पेट्रोल-डीजल की वैट दरों में कमी की गई है. इससे राजस्थान सरकार पर दबाव और बढ़ गया है.
वैट से मिलता है 22 फीसदी राजस्व
राज्य सरकार का 22 फीसदी राजस्व पेट्रोल-डीजल पर लागू वैट से आता है. ऐसे में वैट में कटौती का सीधा और बड़ा असर राज्य सरकार के रेवेन्यू कलेक्शन पर पड़ेगा. इसी साल जनवरी में राज्य सरकार ने 2 फीसदी वैट कम किया था. इससे राज्य के राजस्व में 1000 करोड़ रुपये की कमी हुई. ऐसे में फिर से वैट में कमी करने का जोखिम सरकार मजबूरी में ही उठा सकती है.
केन्द्र सरकार के पास अटका है राज्य का 5 हजार 963 करोड़ रुपया
वेट में कमी का सीधा असर विकास योजनाओं पर भी पड़ेगा. राज्य के पास जब राजस्व ही कम आएगा तो विकास योजनाओं पर खर्च के लिए सरकार के हाथ तंग रहेंगे. राज्य सरकार की आर्थिक स्थिति ज्यादा खराब इसलिए भी है क्योंकि केन्द्र से जीएसटी के हिस्से का पैसा समय पर नहीं मिल पा रहा है. राज्य सरकार का करीब 5 हजार 963 करोड़ रुपया केन्द्र सरकार के पास अटका हुआ है.
राज्य का कम हो रहा हिस्सा
राज्य सरकार का ऐतराज इस बात को लेकर भी है केन्द्र करों के केवल उस हिस्से में बढ़ोतरी कर रहा है जिसका लाभ केन्द्र के राजस्व को ही मिलता है. इससे राज्यों को मिलने वाले करों के हिस्से में कमी आई है. प्रदेश में अब तक वैट कम नहीं पर बीजेपी राज्य सरकार को घेर रही है. माना जा रहा है कि मजबूरी में ही सही राज्य सरकार को वैट कम करने का फैसला देर-सबेर करना पड़ेगा.
चिंता पेट्रोल-डीजल की कीमतें बार-बार बढ़ाए जाने से भी है
राज्य सरकार की चिंता पेट्रोल-डीजल के बार-बार बढ़ाए जा रही कीमतों को लेकर भी है. अगर तेल कंपनियों की ओर से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार बढ़ोतरी की जाती रही तो कुछ ही समय में राहत का लाभ शून्य हो जाएगा. अब देखना होगा कि आज राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल पर किस तरह और कितनी राहत प्रदेश की जनता को देती है.