युद्ध के दौरान रूस में हुई मेडिकल उपकरणों की कमी, चीन ने मदद से किया इंकार तो इस देश ने दिया साथ
युद्ध के दौरान रूस में हुई मेडिकल उपकरणों की कमी, जाने कैसे
नई दिल्ली: यूक्रेन-रूस वार को करीब डेढ़ महीने से अधिक का समय बीत चुका है. वार में फंसे रूस ने अब भारत से चिकित्सा उपकरण मांगे है. ऐसा बताया जाता है कि इस संबंध में चिकित्सा उपकरण बनाने वालीं रूस व भारत कंपनियां इसी 22 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए बातचीत कर सकती हैं. जिससे रूस को उपकरणों की आपूर्ति से जुड़ी औपचारिकताएं तय की जा सकें.
रूस व चिकित्सा उपकरण बनाने वालीं भारत कंपनियां करेंगी बात
इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री एसोसिएशन के समन्वयक राजीव नाथ ने इस बातचीत की पुष्टि की है. भारत व रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार को प्रोत्साहन देने वाले समूह ‘बिजनेस रसिया’ ने भी इसकी पुष्टि की है. राजीव नाथ के मुताबिक, रूस के चिकित्सा उपकरण बाजार में अभी भारत की कोई उल्लेखनीय हिस्सेदारी नहीं है. लेकिन बदली परिस्थितियों में इसी साल इस हिस्सेदारी के 10 गुना तक बढ़ने उम्मीद जताई जा रही है. भारत से रूस के लिए चिकित्सा उपकरणों का निर्यात 2 अरब रुपए तक पहुंच सकता है. इसमें अधिकांश कारोबार रुपए-रूबल में होने की संभावना है.
जानकारी के मुताबिक यूक्रेन पर रूसी सेना के हमले के बाद से रूस के खिलाफ अमेरिका व उसके साथी यूरोपीय देशों ने सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए हैं. इससे कारोबार के लिए दुनियाभर में मान्य मुद्रा अमेरिकी डॉलर में रूस किसी भी देश से कोई लेन-देन अब नहीं कर पा रहा है. उसके बैंकों, कारोबारियों, कंपनी समूहों, वित्तीय संस्थानों आदि पर बैन लग चुका है. वहीं, चूंकि भारत हमेशा से तटस्थता की नीति पर चलता रहा है और रूस से उसके परंपरागत रूप से पुराने संबंध रहे हैं, तो उसने उसे सहयोग के विकल्प तलाशे हैं. इन्हीं में एक विकल्प डॉलर को दरकिनार कर भारत व रूस की मुद्राओं रुपए-रूबल में द्विपक्षीय कारोबार करने का है.
भारत ने रूस भेजे चाय व चावल
बता दें बीतें सप्ताह भारत ने रूस चाय, चावल, फल, कॉफी व समुद्री उत्पादों की खेप भेजी है. यह खेप जॉर्जिया के बंदरगाह पर उतरेगी. वहां से रूस के लिए रवाना किया जाएगा. आपको बतातें चलें कि जॉर्जिया पश्चिमी एशिया व पूर्वी यूरोप के बीच स्थित है. इसके पश्चिम में काला सागर है. जबकि उत्तर व पूर्व में रूस है.