कल से दिल्ली की अनलॉकिंग से व्यापारियों में कोई उत्साह नही
दिल्ली के उपराज्यपाल को आप पार्टी द्वारा विवादों में घसीटने की व्यापारियों ने निंदा की
दिल्ली में कल से अनलॉक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी लेकिन दिल्ली के करीब 15 लाख व्यापारियों के लिए इसका कोई महत्व नहीं है क्योंकि उन्हें लाख गुज़रिशो के बावजूद अभी भी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों को शुरू करने की अनुमति नहीं दी गई है। दिल्ली सरकार के आदेश के अनुसार, केवल निर्माण गतिविधियों और कारखानों को ही पहले चरण में संचालन की अनुमति दी गई है और दिल्ली के बाजार 7 जून तक सुबह 5 बजे तक बंद रहेंगे और दिल्ली के व्यापारियों के पास एक सप्ताह और इंतजार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली सरकार के निर्णय को सबसे अतार्किक बताते हुए कहा कि बिना बाजार खोले, आवश्यक निर्माण सामग्री और अन्य वस्तुओं के अभाव में निर्माण गतिविधियाँ कैसे संचालित होंगी ये बड़ा सवाल है। इसी तरह, कारखानों को भी उत्पादन के लिए उनके द्वारा आवश्यक कच्चा माल भी उपलब्ध नहीं होगा क्योंकि दिल्ली में बाजार बंद हैं ऐसे में फैक्टरियों के बिना रुकावट संचालन पर भी सवालिया निशान लगा हुआ है। हमे ये नही भूलना चाहिए कि कि निर्माण गतिविधियाँ, कारखाने और दुकानें एक दूसरे के पर्याय हैं। और ये तभी पूर्ण रूप से चलाए जा सकते है जब सब एक साथ खुले हो।
खंडेलवाल ने आगे कहा कि पड़ोसी राज्य यूपी जो कि दिल्ली से बहुत बड़ा राज्य है और वहां संक्रमण की दर कफी अधिक थी, फिर भी उसने कल से काम के घंटों के दौरान सभी व्यावसायिक गतिविधियों को खोलने की अनुमति दी है, लेकिन दिल्ली में संक्रमण दर लगभग 1.5% और 900 से कम मामले है बावजूद इसके दिल्ली को बेतुके चरणों मे खोला जा रहा है। एक महीने से अधिक समय से दुकानें बंद होने के कारण दिल्ली के व्यापारियों को हो रही परेशानी को महसूस किए बिना ही अभी बाजार बंद रखने को प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने यह भी कहा कि कोविड के प्रसार को नियंत्रण में रखने की चिंता प्रशंसनीय है, लेकिन साथ ही एक विवेकपूर्ण निर्णय लिया जाना जरूरी था जहां बाजारों को एक तय किये हुए समय सीमा के साथ खोला जा सकता था और कोविड सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करते हुए दिल्ली के व्यापार को थोक और खुदरा वर्ग में वर्गीकृत किया जा सकता था। लेकिन ऐसा नही किया गया।उन्होंने यह भी कहा की अन्य विकल्प भी हो सकते थे लेकिन दुख की बात है कि दिल्ली सरकार ने व्यापारियों से परामर्श नहीं किया और न ही विभिन्न व्यापार संघों द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया गया। खंडेलवाल ने व्यापारियों के सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा हमे उम्मीद है कि दिल्ली सरकार विवेकपूर्ण निर्णय लेते हुए 7 जून से दुकानें खोलने की अनुमति दे देगी. चूंकि यह महामारी का दौर है, व्यापारी खुद तकलीफ़ उठाकर सरकार के आदेशों का पालन करेंगे। यह बेहतर होगा कि दिल्ली सरकार कैट के अलावा दूसरे व्यापार संघों के साथ भी परामर्श करे। हम चाहते हैं कि व्यापारियों से सलाह ली जाए और सरकार के फैसलों से दिल्ली के व्यापारियों और लोगों को भी फायदा हो।
खंडेलवाल ने यह भी कहा कि आप पार्टी द्वारा एक अनावश्यक विवाद पैदा करने का प्रयास किया गया है, जब कल आप के एक कार्यकर्ता ने पार्टी कार्यालय में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह आरोप लगाया गया था कि सीएम केजरीवाल ने दुकानें खोलने पर जोर दिया था लेकिन एलजी अनिल बैजल ने दुकानें खोलने से इनकार कर दिया था। इन परिस्थितियों में ऐसी राजनीति का कोई औचित्य नही है।यहाँ सवाल ये है कि एक व्यक्ति जिसका डीडीएमए से कोई वास्ता नहीं था, उसे बैठक की आंतरिक चर्चा के बारे में कैसे पता चला। उसे किसने जानकारी दी? यदि उनका कहा सत्य है, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल को आगे आना चाहिए और अपनी ही पार्टी के एक पदाधिकारी द्वारा आप के आधिकारिक स्थान का उपयोग करके लगाए गए आरोपों की पुष्टि करनी चाहिए। आप पदाधिकारी के इस बयान से दिल्ली के व्यापारियों के मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है. दिल्ली एलजी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं और इसलिए दिल्ली के सीएम आरोपों को साबित करने या उनका खंडन करने के लिए बाध्य हैं। ऐसे व्यक्ति द्वारा एलजी को बदनाम करना जो डीडीएमए बैठक का हिस्सा ही नहीं था, निश्चित रूप से अवांछनीय है और दिल्ली एलजी को व्यापार विरोधी के एक रूप में चित्रित करने का प्रयास है जो व्यापारियों के खिलाफ काम कर रहा है।