पंचायत चुनाव पर फिलहाल लगी है ब्रेक

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव में आरक्षण की व्यवस्था और सीटों के आवंटन को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मार्च को बड़ा फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने पंचायत चुनावों के लिए सीटों के आरक्षण और आवंटन प्रक्रिया पर फिलहाल स्टे लगा दिया है. ये रोक अगली सुनवाई तक जारी रहेगी. अब जवाब दाख़िल करने की बारी यूपी सरकार की है. वो 15 मार्च को हाईकोर्ट के सामने अपना जवाब रखेगी. हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ये फैसला सुनाया है.

जस्टिस ऋतुराज अवस्थी और मनीष माथुर की बेंच ने अजय कुमार की याचिका पर ये निर्देश दिए हैं. साथ ही 15 मार्च की तारीख अगली सुनवाई के लिए तय की है. शासन से कहा है कि सभी जिलाधिकारियों को भी इस आदेश से वाकिफ करा दिया जाए. इसके बाद अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने शासनादेश जारी कर सभी DM को आदेश भेज दिया.

इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार 17 मार्च को पंचायत चुनावों के लिए आरक्षण की अंतिम सूची जारी करने वाली थी. लेकिन अब हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद इस पर फिलहाल ब्रेक लगता दिख रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स में ज़िक्र है कि सरकार की ओर से 2015 के आरक्षण प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया.

दरअसल याचिका में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को अदालत में चुनौती दी गई है. सीटों के आरक्षण में लंबे समय तक 1999 के नियमों का पालन किया गया. ये नियम कहता था कि सीटों का आरक्षण 1995 को आधार वर्ष मानकर किया जाए. लेकिन 16 सितंबर, 2015 को एक शासनादेश जारी कर कहा गया कि जिला, क्षेत्र और ग्राम पंचायतों की भौगोलिक सीमाओं में बदलाव हुआ है, इसलिए 2015 को आधार वर्ष माना जाना चाहिए.

अब याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार 2015 के आदेश को दरकिनार कर 1995 को ही आधार वर्ष मानकर सीटें आरक्षित कर रही है. इसी को लेकर मामला अदालत में पहुंच गया है.

बता दें कि हाईकोर्ट पहली ही 30 अप्रैल तक ग्राम पंचायत चुनाव और 15 मई तक जिला पंचायत सदस्य के चुनाव कराने की बात कह चुका है. इसी के लिए आरक्षण प्रक्रिया चल रही थी, जिस पर अभी रोक लगी है. आगे की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करेगी कि कोर्ट, सरकार के जवाब से कितनी संतुष्ट होती है.

Related Articles

Back to top button