Delhi विधानसभा चुनाव में मचा घमासान, ‘AAP’, BJP और Congress में कड़ी टक्कर
Delhi विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही राजधानी का सियासी तापमान तेज़ी से बढ़ गया है। मुख्य मुकाबला तीन प्रमुख राजनीतिक दलों—आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच है।
Delhi विधानसभा चुनाव नज़दीक आते ही राजधानी का सियासी तापमान तेज़ी से बढ़ गया है। मुख्य मुकाबला तीन प्रमुख राजनीतिक दलों—आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के बीच है। तीनों दल अपने-अपने एजेंडे के जरिए जनता को लुभाने की पूरी कोशिश में जुट गए हैं। हर पार्टी अपने काम, योजनाओं और वादों के दम पर जीत का दावा कर रही है।
सत्ताधारी ‘आप’ का भरोसा: विकास और कल्याणकारी योजनाएं
Delhi में फिलहाल सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में चुनावी मैदान में उतरी है। ‘आप’ अपनी अब तक की सरकार के कामों को जनता के सामने रखते हुए एक बार फिर सत्ता में वापसी का दावा कर रही है।
- शिक्षा और स्वास्थ्य: ‘आप’ सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में किए गए सुधार और मोहल्ला क्लीनिक की सफलता को पार्टी अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों के तौर पर पेश कर रही है।
- मुफ्त बिजली-पानी योजना: मुफ्त बिजली और पानी की सुविधा को लेकर भी ‘आप’ जनता से बड़े पैमाने पर समर्थन पाने की उम्मीद कर रही है।
- सीएम केजरीवाल का बयान: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जनता से वादा किया है कि उनकी पार्टी भविष्य में भी दिल्ली के विकास और जनहित योजनाओं को प्राथमिकता देगी।
भाजपा का दांव: केंद्र सरकार की योजनाओं पर भरोसा
भाजपा, जो केंद्र की सत्ता में है, इस बार Delhi में जीत के लिए पूरी ताकत झोंक रही है।
- राष्ट्रीय मुद्दों पर जोर: भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर अपने मजबूत नेतृत्व और केंद्र सरकार की उपलब्धियों जैसे ‘मेक इन इंडिया’, ‘आयुष्मान भारत योजना’ और ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के जरिए वोटर्स को आकर्षित करने की कोशिश कर रही है।
- दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा: भाजपा का एक मुख्य वादा है कि अगर उनकी सरकार बनती है, तो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा।
- वरिष्ठ नेताओं की रैलियां: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रैलियों में बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं, जिससे पार्टी को अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिल रही है।
कांग्रेस का पुनरुत्थान: पुरानी विरासत पर जोर
कांग्रेस, जो पिछले कुछ वर्षों में Delhi की राजनीति से लगभग गायब हो गई थी, अब अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए पूरी कोशिश में लगी है।
- शीला दीक्षित के दौर का विकास: कांग्रेस अपने 15 साल के शासनकाल में हुए विकास कार्यों को याद दिलाकर जनता से जुड़ने की कोशिश कर रही है।
- युवाओं और महिलाओं पर फोकस: कांग्रेस इस बार युवाओं के लिए रोजगार और महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिक मुद्दा बना रही है।
- राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का प्रचार: पार्टी ने अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार दिया है और जमीनी स्तर पर प्रचार तेज़ कर दिया है।
मुद्दे जो करेंगे चुनावी परिणाम तय
इस चुनाव में शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सुरक्षा, बिजली-पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के अलावा बेरोजगारी और प्रदूषण जैसे बड़े मुद्दे अहम भूमिका निभाने वाले हैं।
- विकास बनाम वादे: जहां ‘आप’ विकास कार्यों को प्रमुख मुद्दा बना रही है, वहीं भाजपा और कांग्रेस जनता को नए वादों के सहारे रिझाने की कोशिश में जुटी हैं।
- स्थानीय बनाम राष्ट्रीय मुद्दे: भाजपा जहां राष्ट्रीय मुद्दों को केंद्र में रख रही है, वहीं ‘आप’ स्थानीय मुद्दों पर फोकस कर रही है।
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Delhi विधानसभा चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल रहा है। ‘आप’ अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए पुरजोर कोशिश कर रही है, वहीं भाजपा पहली बार दिल्ली में सरकार बनाने का सपना देख रही है। दूसरी ओर, कांग्रेस अपनी खोई हुई साख वापस पाने के लिए मैदान में डटी है। अब देखना यह होगा कि जनता किसे अपना विश्वास देती है और कौन दिल्ली की सत्ता पर काबिज होता है।