त्रिवेणीगंज में जातीय समीकरण पर विकास का पहिया भारी
सुपौल। बिहार में विधानसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। जाहिर तौर पर सुपौल जिले में भी राजनीतिक तापमान तेज होने लगा है। जिले में कुल 05 विधानसभा सीटें हैं जिनमें फिलहाल तीन सीटें सुपौल, त्रिवेणीगंज एवं निर्मली पर जदयू का कब्जा है। पिपरा विधानसभा सीट पर राजद एवं छातापुर विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक काबिज हैं। राजनीति के दिग्गजों की मानें तो इस चुनाव में जिले की पांचों सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधा मुकाबला होगा। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव की तुलना में इस बार इन विधानसभा क्षेत्रों में राजनीतिक समीकरण बदला-बदला सा है। वर्ष 2015 के चुनाव में जहां जदयू और भाजपा ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था, इस बार एनडीए के तहत दोनों प्रमुख दल साथ हैं जबकि राजद के साथ महागठबंधन में कांग्रेस प्रमुख रूप से शामिल है। यही वजह है कि इस चुनाव में जिले की तकरीबन सभी सीटों पर एनडीए व महागठबंधन उम्मीदवारों के बीच कड़ी टक्कर होने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
विधानसभा चुनाव 2015 का परिणाम
वर्ष 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में त्रिवेणीगंज की जदयू प्रत्याशी बीणा भारती सर्वाधिक 52 हजार 400 मतों से विजयी रही थींं। उन्होंने लोजपा के अनंत कुमार भारती को पराजित किया था। जबकि सुपौल सीट पर सूबे के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने सातवीं बार विजयी दर्ज की थी। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी किशोर कुमार को 37 हजार 397 मतों से पराजित किया था। निर्मली विधानसभा क्षेत्र में तब जदयू के अनिररुद्ध प्रसाद यादव विजयी रहे थे। उन्होंने भाजपा के राम कुमार राय को 20 हजार 958 मतों से पराजित किया था। पिपरा विधानसभा सीट पर राष्ट्रीय जनता दल के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्वमोहन कुमार को 36 हजार 369 मतों से हरा कर जीत दर्ज की थी जबकि छातापुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी नीरज कुमार सिंह ने कांटे की टक्कर में राजद के जहूर आलम को 09 हजार 292 मतों से हराया था।
लगातार 30 वर्षों से सुपौल के विधायक हैं बिजेंद्र यादव- सुपौल विधानसभा सीट इस बार जदयू व एनडीए के लिये प्रतिष्ठा की सीट साबित होगी। बिहार सरकार के ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव इस बार लगातार 08वीं वार विरोधियों को चुनौती देंगे। गौरतलब है कि जदयू के कद्दावर नेता यादव लगातार 30 वर्षों से इस क्षेत्र के विधायक हैं। 1990 के चुनाव से प्रारंभ हुई उनकी विजय यात्रा गत चुनाव तक लगातार अजेय साबित हुई है। अब देखना है कि इस बार के चुनाव में उनके विरोध में महागठबंधन किसे उम्मीदवार बनाते हैं।
1990 से पहले 7 बार इस सीट पर सुपौल कांग्रेस का रहा कब्जा- आजादी के बाद 1951 में कांग्रेस के लहटन चौधरी, 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के परमेश्वर कुंवर , 1958 के उप चुनाव में कांग्रेस के लहटन चौधरी, 1962 में प्रशोपा के परमेश्वर कुंवर , 1967, 1969 तथा 1972 में कांग्रेस के उमा शंकर सिंह, 1977 में जनता पार्टी के अमरेंद्र प्रसाद सिंह, 1980 में फिर कांग्रेस के उमा शंकर सिंह, 1985 में कांग्रेस के प्रमोद कुमार सिंह विजयी रहे थे। 1990 के बाद से अब तक बिजेंद्र प्रसाद यादव इस क्षेत्र का लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।