चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से अडानी एयरपोर्ट तक का कला राज़ – अडानी ने हड़पी गरीबों की 700–800भीगा ज़मीन: लखनऊ

चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट का नाम बदलकर अडानी एयरपोर्ट रखे जाने के बाद से वहां के निवासियों में आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि

चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट से अडानी एयरपोर्ट तक का कला राज़: गरीबों की जमीन और उनकी आवाज़

स्थान:  लखनऊ
रिपोर्टर: मोहित कुमार

घटना का सारांश

लखनऊ में अडानी समूह द्वारा चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट का नाम बदलकर अडानी एयरपोर्ट रखे जाने के बाद से वहां के निवासियों में आक्रोश फैल गया है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अडानी ने गरीबों की जमीन पर कब्जा कर लिया है, जिसमें लगभग 700-800 बीघा जमीन शामिल है। इस पर गांववाले धरना दे रहे हैं और अपनी जमीन के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

जमीन का विवाद

जब मोहित ने लोगों से पूछा कि यह जमीन कितनी होगी, तो उन्होंने चौंकाने वाला जवाब दिया कि यह लगभग 700-800 बीघा जमीन है, या उससे भी ज्यादा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह जमीन अब अडानी के कब्जे में है; वह सिर्फ कब्जा होने वाला नहीं है, बल्कि हो चुका है।

जब मोहित ने पूछा कि क्या उन्होंने अडानी से मुआवजा मांगा, तो वहां के लोगों ने कहा, “हमें मुआवजा नहीं चाहिए, हमें अब मौत चाहिए। हम सब मरेंगे।” वे पिछले तीन दिनों से भूखे और प्यासे बैठे हैं, और किसी भी अधिकारी ने आकर उनकी हालत के बारे में नहीं पूछा।

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चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट | adani airport , उनकी बातों में एक गंभीर सवाल था: “क्या हम इस देश के वासी नहीं हैं?” एक ग्रामीण ने कहा कि प्रधानमंत्री का नारा “सबका साथ, सबका विकास” केवल एक दिखावा है। “आप देखिए विकास, लेकिन अब हमें मारने की तैयारी है। हमारे पास जो राशन कार्ड और पहचान पत्र हैं, वे सब भक्तिखेड़ा के हैं, लेकिन इस सरकार को इसे मिटाने में भी समय नहीं लगेगा। जब ऐसा हो रहा है, तो प्रशासन कुछ भी कर सकती है।”

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इससे स्पष्ट है कि स्थानीय लोगों की चिंता केवल जमीन के कब्जे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनके अस्तित्व और अधिकारों की भी है। उनके लिए यह संघर्ष न केवल अपने लिए, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी है।

प्रशासन की निष्क्रियता

चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट | adani airport , रिपोर्टर ने स्थानीय लोगों से पूछा कि अडानी क्या चाह रहे हैं, तो एक आदमी ने जवाब दिया, “हम क्या चाहेंगे? कोई हमारे पास आया ही नहीं पूछने। यह सब जबरदस्ती किया जा रहा है, और हम इसी वजह से यहां बैठे हैं। हमें धमकी दी गई है कि अगर हम यहां धरना देंगे, तो हमारे साथ ऐसा बर्ताव किया जाएगा कि हम सोच भी नहीं सकते। ऐसा लग रहा है कि हम इस जगह के निवासी ही नहीं हैं।”

इस दौरान, लोगों ने कहा कि सुरक्षा बलों की तैनाती इतनी अधिक थी कि यह स्पष्ट था कि गरीबों को डराने के लिए उन्हें तैनात किया गया था। वहां बंदूकें और आंसू गैस के गोले भी मौजूद थे, जो स्थिति को और भी गंभीर बना रहे थे।

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एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “हमारे साथ कोई नहीं है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है। अगर आप JCB चलाएंगे, तो हम बस चुपचाप लेट जाएंगे। क्या हम कुछ कर सकते हैं? हमारे पास रहने के लिए घर नहीं है। अगर हमारा घर छीन लिया गया है, तो क्या हमें फुटपाथ पर रहना होगा?”

यह स्थिति उन लोगों की बेताबी और निराशा को दर्शाती है जो अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। उनका दर्द और संघर्ष सिर्फ जमीन के लिए नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व के लिए है। उनके सवाल इस बात की ओर इशारा करते हैं कि जब सरकार और बड़े उद्योगपति उनके अधिकारों का हनन कर रहे हैं, तो उनकी आवाज़ कौन सुनेगा?

सुरक्षा बलों की मौजूदगी

चौधरी चरण सिंह एयरपोर्ट | adani airport , एक बड़े बुजुर्ग ने गंभीरता से कहा, “बिना किसी सूचना के 700–800 बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया गया है। यह तानाशाही है। जो लोग सुरक्षित हैं, वे सड़क पर चल रहे हैं, जबकि जिन पर यह कहर टूटा है, वे धरना दे रहे हैं। हम तब तक यहां बैठेंगे जब तक हमारा मामला नहीं सुलझता। अब हमारे पास जीने या मरने के सिवा कोई रास्ता नहीं बचा। छोटे बच्चे और महिलाएं भी हैं, हमें क्या करना चाहिए?”

एयरपोर्ट बेघर

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “यह सब बीजेपी की कारस्तानी है। हम बेघर हो गए हैं। बिना नोटिस के हमारी जमीन ले ली गई। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। अगर नोटिस दिया भी जाता, तो कम से कम तीन महीने पहले दिया जाता। योगी और मोदी मिलकर यह सब कर रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “अडानी, मोदी और योगी ने हमारी जमीन बिना किसी नोटिस के ले ली है। अब हमारे घरों को गिराने की तैयारी है। हम कहां जाएंगे? ऐसा किसी सरकार में नहीं हुआ। हमारी पीढ़ियों ने इन घरों में जीवन बिताया है।”

मीडिया की अनदेखी

इस दौरान, एक महिला ने बताया कि पहले भी मीडिया उनके इलाके में आई है, लेकिन उनकी समस्याओं का कोई सही टेलीकास्ट नहीं हुआ। “टीवी पर हमारी असली स्थिति नहीं दिखाई जा रही है,” उन्होंने कहा।

जब रिपोर्टर ने पूछा कि मोदी गरीबों की बात करते हैं, तो वहां एक लड़की ने कहा, “हां, देखिए, हम चार दिन से भूखे-प्यासे धरने पर हैं। क्या हम यही मरने के लिए बैठे हैं? हमें कहीं जाने की कोई जगह नहीं है।

एयरपोर्ट एयरपोर्ट

लोगों की आवाज़ में निराशा थी, क्योंकि कोई अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने नहीं आया। “लखनऊ उजड़ रहा है,” उन्होंने कहा।

यहां धरने पर बैठे सभी लोग तब से वहीं रह रहे हैं, जब से यह एयरपोर्ट भी नहीं था। यह जगह कभी सिर्फ एक गांव, भक्तिखेड़ा हुआ करती थी, और अब उनकी ज़िंदगियों को छीनने का प्रयास किया जा रहा है। उनके लिए यह सिर्फ जमीन का मामला नहीं, बल्कि उनके अस्तित्व की लड़ाई है।

FULL VIDEO : https://youtu.be/RF7v5DDdquw?si=ZJxd4uRuo966kj6K

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