पालघर के बाद नांदेड़ में साधु की हत्या पर वृन्दावन के सन्त समाज ने कहा इसकी ज़िम्मेदार उद्धव ठाकरे सरकार !

पालघर के बाद अब नांदेड़ में साधु की हत्या का मामला सामने आया है। मृतक साधु लिंगायत समुदाय के थे। एक महीने के भीतर धार्मिक क्षेत्र से जुड़ी दूसरी हत्या से महाराष्ट्र की उद्धव सरकार की गवर्नेंस पर सवाल उठने लगे हैं। पालघर में संतों की हत्या के एक महीने बाद नांदेड़ में साधु की हत्या लिंगायत समुदाय के साधु की हत्या पर महाराष्ट्र सरकार में हड़कंप दो महीने में तीन साधुओं की हत्या से ठाकरे सरकार पर उठ रहे सवाल।

नांदेड़ जिले में लिंगायत साधु की बेरहमी से हत्या कर दी गई। साधु को उसके आश्रम में घुसकर जान से मार दिया गया। ऐसे में निरपराध साधुओं पर जानलेवा हमले को लेकर महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था पर जमकर सवाल उठाए जा रहे हैं।

दोनों घटनाओं पर नजर डालें तो ऐसा लगता है कि प्रदेश में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। कानून का डर न होने की वजह से अपराधी बेखौफ वारदात को अंजाम दे रहे हैं। साधु-संतों की हितैषी होने का दावा करने वाली शिवसेना अपनी ही सरकार में साधुओं की हत्या पर लगाम नहीं लगा पा रही है। मामले में सामुदायिक ऐंगल न लें तब भी एक नागरिक के बतौर उनकी सुरक्षा राज्य सरकार की जिम्मेदारी थी, जिस पर राज्य सरकार बुरी तरह फेल होती नजर आ रही है।

पालघर मॉब लिंचिंग के दौरान तो पीड़ितों के साथ पुलिस भी थी। फिर भी उन्हें जान गंवानी पड़ी। इतना ही नहीं, घटना के वायरल वीडियो में पुलिस अपनी जान बचाकर भागती नजर आई। ऐसे में सवाल यह भी उठता है कि प्रदेश की पुलिस भीड़ द्वारा किए गए हिंसात्मक अपराधों के आगे लाचार हो गई है और लोगों के जानमाल की हिफाजत के लिए अब उससे उम्मीद करना व्यर्थ है?

नांदेड़ के मामले में हत्यारोपी ने आश्रम में घुसकर संत की हत्या की और फरार होने में कामयाब रहा। अपराध के 12 घंटे बीतने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं और अभी तक आरोपी का पता नहीं लगाया जा सका है। पुलिस प्रशासन प्रदेश में ऐसी घटनाओं को रोकने में पूरी तरह विफल नजर आ रहा है।

ऐसे ही नांदेड़ के मामले में भी संत की हत्या पर समुदाय के लोगों की प्रतिक्रिया सार्वजनिक तनाव का रूप ले सकती है। दोनों मामलों में अभी तक इस तरह की कोई घटना नहीं हुई है तो इसके पीछे लॉकडाउन का बड़ा हाथ है। लोग घरों में कैद हैं। सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा जमकर निकल रहा है। इन घटनाओं पर सख्ती से कार्रवाई नहीं की गई तो प्रदेश की उद्धव सरकार को कई मुश्किल सवालों से गुजरना पड़ सकता है।

लोगों की जान-माल की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध होने का दावा करने वाले महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे के लिए ये घटनाएं राजनीतिक संकट साबित हो सकती हैं। उनकी पुरानी सहयोगी और फिलहाल विपक्ष में बैठने वाली भारतीय जनता पार्टी इसे राज्य सरकार पर हमले के अवसर के रूप में भी ले सकती है। ऐसे में इन घटनाओं से वृन्दावन के सन्त समाज मे उबाल है वृंदावन के प्रमुख सन्त सरकार को दोषी मान रहे है जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर नवल गिरी महाराज का कहना है कि सरकार को सख्त कदम उठाते हुए कोई कानून बनाना चाहिए वही काशी विद्वत परिषद के कार्ष्णि नागेंद्र महाराज का कहना है कि जब इस देश मे साधु संतों की ही हत्या होगी तो सवाल उठने लाजिमी है। इसके लिए महाराष्ट्र की उद्धव सरकार दोषी है। जो सन्तो की हत्याओं को रोकने में नाकाम हुई है। अंतरराष्ट्रीय भागवक्त वाचक डॉक्टर मनोज मोहन शास्त्री ने कहा कि हृदय विरक्त ही उठता है नींद नही आती केंद्र और राज्य सरकारों को चिंतन मनन की आवश्कता है। वही धर्माचार्य बिपिन बापू के कहना है कि जो शिवाजी के पद चिन्हों पर चले हिंदुत्व के हिमायती थे राम और सनातन की बात करते है उनके राज में अगर ऐसा होता है तो उनको गद्दी से स्वतः ही उठ जाना चाहिए।

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