महाराष्ट्र समेत 23 राज्यों में कोविड संक्रमण का खतरा बढ़ा, बायोमेडिकल वेस्ट बना वजह
नई दिल्ली. कोरोना वायरस (Coronavirus) महामारी शुरू होने के बाद देश में बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा में भी इजाफा हुआ है. ऐसे में मेडिकल कचरे का सही प्रबंधन नहीं होने के चलते कई राज्यों में कोविड-19 (Covid-19) संक्रमण का खतरा मंडरा रहा है. इस बात के संकेत हाल ही में आई एक स्टडी में मिले हैं. स्टडी में कई राज्यों के खराब प्रदर्शन के बारे में जानकारी दी गई है. इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पॉप्युलेशन साइंसेज की तरफ से एक गैप एनालिसिस स्टडी की गई है. इसमें पता चला है कि महामारी के चलते बायोमेडिकल वेस्ट में खासा इजाफा हुआ है. जबकि, इन्हें खत्म करने की सुविधाओं में पर्याप्त सुधार नहीं हुआ. स्टडी में बताया गया है कि 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से महाराष्ट्र समेत 23 राज्यों में अभी भी वेस्ट को दफनाने का तरीका अपनाया जा रहा है. इस तरीके पर केंद्र ने प्रतिबंध लगाया है.
वेस्ट मैनेजमेंट एंड रिसर्च जनरल में प्रकाशित हुए ‘Assesment of Bio-Medical Waste Before and During the Emergency of Novel Coronavirus Disease Pandemic in India: A Gap Analysis’ अध्ययन में पता चला है कि 70 फीसदी राज्यों में कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फेसिलिटीज (CBMWTFs) की निगरानी के लिए व्यवस्थित सुविधाएं नहीं हैं. साथ ही केवल 12 राज्य ऐसे हैं, जहां नए उत्सर्जन नियमों के मुताबिक बदलाव किए गए हैं. देश में CBMWTFs की संख्या 200 है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है.
टाइम्स ऑफ इंडिया ने IIPS में प्रोफेसर अपराजिता चट्टोपाध्याय के हवाले से लिखा, ‘100 मीट्रिक टन से ज्यादा तैयार करने वाले राज्यों को प्राथमिकता में रखा जाना चाहिए.’ प्रमुख शोधकर्ता राहुल रजक ने कहा कि इस मामले में पहाड़ी राज्यों पर ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए. इस स्टडी में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के डेटा का इस्तेमाल किया गया था.
CPCB का डेटा बताता है कि महाराष्ट्र, केरल, गुजरात, आंध्र प्रदेश और दिल्ली जैसे राज्यों ने देश में 70 फीसदी कोविड कचरा तैयार किया था. आंकड़े बताते हैं कि भारत में जून से दिसंबर 2020 तक 32 हजार 996 मीट्रिक टन कोविड कचरा तैयार हुआ था. 789.9 मीट्रिक टन के साथ महाराष्ट्र सबसे शीर्ष पर था.