लखीमपुर केस: SIT की रिपोर्ट से यूपी पुलिस की उड़ी धज्जिया, लगे ये गंभीर आरोप
पुलिस पर लगा पक्षपात करने का आरोप
लखनऊ. लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में गठित की गई विशेष जांच टीम (SIT) की रिपोर्ट ने यूपी पुलिस की धज्जिया उड़ा दी है। आशीष मिश्रा पर अब हत्या की कोशिश जैसी गंभीर धाराएं लगा दी गई हैं। अगर पुलिस ने आशीष को बचाने की कोशिश न कि होती तो यूपी पुलिस को ऐसे दिन न देखने पड़ते। लखीमपुर खीरी की तिकुनिया पुलिस ने यदि सिर्फ FIR के हिसाब से मुकदमा दर्ज कर लिया होता तो मामला इस कदर पक्षपाती न लगता। अब SIT ने यूपी पुलिस की उस गलती में सुधार किया है और FIR के मुताबिक इल्ज़ाम की धाराएं बढ़ाई हैं।
यूपी पुलिस के पूर्व महानिदेशक विक्रम सिंह ने बताया कि दंड प्रक्रिया संहिता यानी CRPC की धारा 154 कहती है कि FIR जैसी हो दफायें वैसी लगें। पीड़ित ने जो तहरीर पुलिस को दी है उसी के मुताबिक FIR में आरोपी पर धारायें लगायी जाएंगी। FIR दर्ज करते समय इसमें किसी तरह का बदलाव करने का हक पुलिस को नहीं होता है। इस मामले में विवेक का कोई स्थान नही होता। ये अलग बात है कि जांच के बाद साक्ष्यों के आधार पर धारायें कम या ज्यादा की जा सकती हैं। ये पुलिस के अधिकार क्षेत्र में होता है।
पुलिस पर लगा ये गंभीर आरोप
लखीमपुर हिंसा मामले में पुलिस ने यही पर बड़ी गलती कर दी। इसे ही पक्षपात कहा जा रहा है। SIT ने कहा है कि IPC की धारा 279, 338 और 304 A की जगह 307, 326, 34 और आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 लगायी जाए। IPC की धारा 307 जान से मारने का प्रयास, 326 – खतरनाक आयुधों (डेंजरस वेपन) या साधनों से गंभीर आघात पहुंचाना, 34 – कई व्यक्तियों के साथ मिलकर एक जैसा अपराध करना और आर्म्स एक्ट की धारा 3/25/30 लाइसेंसी हथियार का गलत प्रयोग करना है।
इन धाराओं को FIR दर्ज
आशीष मिश्रा के खिलाफ 4 अक्टूबर को तिकुनिया थाने में जगजीत सिंह ने जो तहरीर दी थी उसके मुताबिक इन धाराओं को FIR दर्ज करते समय ही लगाया जाना चाहिए था। तहरीर में कहा गया है कि आशीष मिश्रा अपने समर्थकों के साथ फायरिंग करते हुए किसानों को अपनी गाड़ी से रौंदते हुए निकल गए। इसमें चार की मौत और कई गंभीर घायल हो गये। तहरीर में ये भी कहा गया है कि आशीष मिश्रा ने गुण्डईपूर्वक ये कृत्य किया है। और तो और तहरीर में जगजीत सिंह ने साफ साफ लिखा है कि आशीष मिश्रा ने सुनियोजित तरीके से षड्यंत्रपूर्वक घटना को अंजाम दिया है।