इस गुफा में दफन है बेशकीमती खजाना, तोप के गोले भी हैं बेअसर….
हमारा भारत बेहद ही खूबसूरत और समृद्ध देश है। जहां पूर्व में बंगाल की खाड़ी अपनी खूबसूरती बयान करती है, तो वहीं पश्चिम में कच्छ है। उत्तर में हिमालय अपनी जड़ी-बूटी और सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, तो वहीं दक्षिण में कन्याकुमारी है। इसके साथ ही हमारे देश का विवरण यहीं खत्म नहीं होता। हमारे देश में कई ऐसी जगहें भी हैं जो अपने अनसुलझे रहस्य को संजोय हुए हैं। इन्हीं जगहों में से एक सोन भंडार (गुफा) है, जो कि बिहार राज्य के राजगीर में स्थित है। इस जगह के बारे में ऐसा कहा जाता है कि, यहां पर सोने का खजाना है, जिसे हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार की पत्नी ने छिपा रखा है। आज तक इस खोजने के पास कोई नहीं पहुँच पाया है। वहीं अंग्रेजों ने एक बार कोशिश भी की थी, लेकिन उनके हाथ बस असफलता ही आई।
रहस्यमई गुफा के बारे में, ऐसा कहा जाता है की हर्यक वंश के संस्थापक बिम्बिसार को सोने चांदी से बेहद लगाव था। इसलिए वह बहुत से सोने, चांदी के आभुषणों बनवाया करते थे। उनकी कई रानियां थीं, जिनमें से एक रानी के सरे ज़रूरतों का पूरा ख्याल रखा जाता था। अपने खजानों को अज्ञात शत्रु से बचने के लिए बिम्बिसार की पत्नी ने राजगीर में यह सोन भंडार बनवाया था। जहाँ सभी खजानों को छिपा दिया गया था। यह गुफा आज तक विज्ञान के लिए पहेली बना हुआ है। इस गुफा में दो बड़े कमरे हैं। उन में से एक कमरे में खजाना भरा हुआ है। इस गुफा को एक बड़े से चट्टान से ढका गया है, जिसे आज तक कोई खोलने में कामयाब नहीं हो पाया है। इसके दरवाजे पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। ऐसा माना जाता है कि, अगर कोई इस लिपि को पढ़ने में सफल हो जाता है तो, इस सोने के भंडार को खोला जा सकता है। वहीं अंग्रज़ों ने आज़ादी से पहले इस गुफा को खोलने के लिए इसके दरवाज़े को तोप से उड़ने की कोशिश की, लेकिन उन्हें असफलता ही प्राप्त हुई थी।
अंग्रेजों ने किया था तोप से उड़ाने का प्रयास, हुए थे नाकाम
अंग्रेजों ने इस गुफा को तोप के गोले से उड़ाने की कोशिश की थी लेकिन वे इसमें नाकामयाब रहे थे, आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं। अंग्रेजों ने इस गुफा में छुपे खजाने को पाने के लिए यह कोशिश की थी, लेकिन वह जब नाकाम हुए तो वापस लौट गए।
अंदर जाते ही 10 मीटर लंबा चट्टान का कमरा मौजूद है यहां पर
सोन भंडार गुफा में अंदर प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है। इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे के दूसरी ओर खाजाने का कमरा है। जो कि एक बड़ी चट्टान से ढंका हुआ है।
शंख लिपि में लिखा है खजाने का कमरा खोलने का रहस्य
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है।
जैन धर्म के भी हैं अवशेष
इस जगह पर जैन धर्म के अवशेष भी देखने को मिलते हैं। यहां पर दूसरी ओर बनी गुफा में 6 जैन धर्म तीर्थंकरों की मूर्तियां भी चट्टान में उकेरी गई हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि यहां पर जैन धर्म के अनुयायी भी रहे थे।
तीसरी और चौथी शताब्दी में बनी हैं दोनों गुफा
दोनों ही गुफा तीसरी और चौथी शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। इन गुफाओं के कमरों को पॉलिश किया गया है। इस तरह की गुफा देश में कम पाई जाती हैं।