काजिम अली खान और आजम के बीच रामपुर सीट से शुरू हुई सियासी जंग, देखें न्यूजनशा का वीडियो
विस चुनाव को लेकर काजिम और आजम खान के बीच शुरू हुई सियासी जंग
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लखनऊ: यूपी के नवाब परिवार और आजम खान के परिवार के बीच फ़िल्मी अंदाज में सियासत को लेकर सियासी जंग शुरू हो चुकी है. इस बार की राजनीतिक लड़ाई आजम खान के परिवार और नवाब परिवार के बीच में है. कांग्रेस नेता काजिम अली खान और सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम के बीच टेंशन शुरू हो चुकी है. यूपी की शान रामपुर की जान इसकी पहचान गंगा तहजीब से है.
यूपी के बड़े मुस्लिम चेहरे आजम खान की रामपुर सीट उनके परम्परागत सीट है. उनके जीवन में रामपुर विधानसभा की सीट लंबे समय से उनके कब्जे में हैं. वह हर बार इस सीट से जीतते चले आ रहे है. आजम खान के इस सीट से यूपी के पश्चिम इलाकों के कई विधानसभा सीटों की किस्मत तय होती है. जानकारी के मुताबिक आज खान पिछले 3 सालों से सलाखों के पीछे हैं.
सपा ने रामपुर सीट से आजम खान को बनाया उम्मीदवार
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजम खान के जेल में रहने के बाद भी रामपुर सीट विधानसभा का टिकट देकर उन्हें उम्मीदवार बनाया है. वहीं मीडिया के सामने अब्दुला आजम खान के आंसुओं ने पिता के साथ जेल में गुजरे वक्त को याद किया. अब्दुल्ला के भे आसुओं ने पिता आजम खान के राजनीतिक सियासत को एक नई धार दी है. वहीँ अगर रामपुर के दावेदारी की बात करें तो वहां की सीट से आजम खान को सपा ने टिकट दिया है. जबकि भाजपा से पूर्व अधिकारी शिवबहादुर सक्सेना के बेटे आकाश सक्सेना को बीजेपी ने प्रत्याशी घोषित किया है. सपा और भाजपा के बाद कांग्रेस से नूरमहल के नवाब काजिम अली खान चुनावी मैदान में उतरे हैं.
आजम के जेल जाने के बाद उनके वोट बैंक पर पड़ा असर
आजम खान के जेल जाने के बाद उनके वोट बैंक पर भरी असर पड़ा है. जिसके बाद बहुत से लोग कांग्रेसी घराना नूरमहल से जुड़ चुके हैं. वहीँ आजम खान पर एक के बाद एक कार्रवाई के बाद उन्होंने सहानुभूति भी रखनी शुरू कर दी है. लेकिन इस बार उनका सामना उनके विरोधी आकाश सक्सेना से और नूरमहल के नवाब काजिम अली खान से है. वहीँ इस सीट से सहानुभूति वोट आजम खान को वोट पहुंचा सकती है. जानकारी के मुताबिक आजम खान के इस्तीफ़ा देने के बाद साल 2019 उप चुनाव हुआ था. जिसमे तनिष फातिमा विधायक चुनी गई थी. हालांकि वर्तमान में आजम खान खुद चुनाव लड़ रहे थे. अगर हम बात करें रामपुर के मतदाताओं की तो वहां पुरुष मतदाओं की संख्या 3 लाख से ज्यादा है जबकि महिलाएं भी कम नहीं हैं.