स्त्री शक्ति – द पैरेलल फोर्स की संस्थापक और अध्यक्ष रेखा मोदी ने टिप्पणी की, “महिलाओं का सशक्तिकरण सभी सार्वभौमिक बीमारियों के लिए रामबाण है।

भारतीय संस्कृति में स्त्रियों के सम्मान शाश्वत है जिसके प्रतीक के रूप में सरस्वती, लक्ष्मी,  कालि आदि देवियों के अस्तित्व और उपस्थिति को समझा जा सकता है। समाज मे कठिनाई रही है लेकिन मैने अपने देश और समाज को प्रगति करते देखा है जिसका सबसे सुंदर प्रमाण

 अपनी समय की सशक्त स्त्री दयावती मोदी के सम्मान यह पुरस्कार आज को समाज को प्रेरित कर रहा है

इसका अनुसर्जनात्मक भावानुवाद पद्मश्री श्रीमती शोभना नारायण जी ने किया है तथा सहयोग श्रीमती रेखा मोदी, संस्थापिका अध्यक्षा,स्त्री शक्ति: पैरलल फोर्स का है इस मह्त्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रकाशन संस्कृत और भारतीय विद्या के प्रसिद्ध प्रकाशक मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है जो आने वाले कुछ महीनों में तैयार होगा 

 

 a है कि आजादी के अमृत महोत्सव के इस मह्त्वपूर्ण कालखंड में पहली बार आदिवासी संथाल समाज से आनेवाली माननीय द्रौपदी मूर्मू जी हमारे देश की राष्ट्रपति है हम सब के लिए यह गर्व की बात है और प्रेरणा की भी उनकी कर्मठता, करूणा और बुद्धिमता विश्व पटल पर  भारतीयता को एक नयी पहचान देगा मैने आजादी के बाद देश के सभी माननीय प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति के साथ काम किया और देश की प्रगतिशीलता को देख कर बहुत अच्छा लगता है   

रचयिता कौन? 

महाकवि कालिदास या  काशी की राजकन्या विदुषी विद्योत्तमा के आवरण को लोगो के सामने प्रस्तुत किया  आने वाले समय मे यह पुस्तक को हम सब को देखने का अवसर मिलेगा जो कलकत्ता विश्वविद्यालय के संस्कृत के सहायक आचार्य  डा कमल किशोर मिश्र के 21 वर्षीय शोध का श्रेष्ठतम यात्रा है मै इस यात्रा से प्रभावित हूँऔर उनको हम सब का आशीर्वाद है 

इसका अनुसर्जनात्मक भावानुवाद पद्मश्री श्रीमती शोभना नारायण जी ने किया है तथा सहयोग श्रीमती रेखा मोदी, संस्थापिका अध्यक्षा,स्त्री शक्ति: पैरलल फोर्स का है इस मह्त्वपूर्ण ग्रन्थ का प्रकाशन संस्कृत और भारतीय विद्या के प्रसिद्ध प्रकाशक मोतीलाल बनारसीदास पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली द्वारा किया जा रहा है जो आने वाले कुछ महीनों में तैयार होगा 

पहला जेंडर इन्फ्लुएंसर पुरस्कार युवा देवांश सराफ को उनकी लघु फिल्म एक्स या वाई के लिए दिया गया था। 

स्त्री शक्ति पैरेलल फोर्स की संस्थापक और अध्यक्ष रेखा मोदी ने टिप्पणी की, “महिलाओं का सशक्तिकरण सभी सार्वभौमिक बीमारियों के लिए रामबाण है। महिला साहित्य ही महिलाओं की चिंताओं, चुनौतियों और महत्वाकांक्षाओं को समझने की कुंजी है। इक्कीसवीं सदी में, महाकवि कालिदास की कृतियां को लिंग के नजरिए से देखा जा रहा है”I 

 

 

Related Articles

Back to top button