दिल्ली बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए संगठन ने बनाई खास रणनीति
गाजियाबाद. दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए खास रणनीति बनाई गई है. नई रणनीति के तहत किसानों की संख्या 3 जून से बढ़नी शुरू हो जाएगी. अब किसान पारिवारिक जिम्मेदारी के साथ साथ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेंगे. किसानों से यह भी आह्वन किया जा रहा है कि वे इस बार लंबे समय के लिए तैयारी कर आएं. वहीं दूसरी ओर अध्यादेश लागू होने के एक साल पूरा होने को किसान संपूर्ण क्रांति दिवस के रूप में मनाएंगे और इस दिन सांसदों और विधायकों के आवास व आफिस पर नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाने का भी निर्णय लिया गया है.
किसान संगठनों ने बॉर्डरों पर किसानों की संख्या बढ़ाने का नया फार्मूला बनाया है. अब एक ब्लाक से, एक ट्रैक्टर और 10 किसान का फार्मूला निकाला गया है. सभी किसान संगठनों ने अपने अपने इलाकों में संदेश भेजा है और इसी फार्मूले के अनुसार बॉर्डर पर आएं. संगठन के अनुसार इस समय कटाई वगैरह करवाकर किसान पूरी तरह फ्री हो जाता है. उसके पास किसी तरह जिम्मेदारी नहीं होगी. इसलिए लंबे समय रुकने के लिए तैयार होकर आएगा. इसके साथ ही किसान क्रमवार वापस गांव लौटते रहेंगे, जिससे आंदोलन के साथ साथ पारिवारिक जिम्मेदारी भी निभाते रहें. इसके तहत 3 जून से किसानों की संख्या बॉर्डरों पर बढ़नी शुरू हो जाएगी.
किसान नेताओं का कहना है कि तीन कृषि कानूनों को लागू करने का अध्यादेश 5 जून 2020 को जारी किया गया था. इस वजह से अध्यादेश लागू होने के एक साल बाद यानी 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस मनाया जाएगा. आंदोलनकारी किसानों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा इसका ऐलान कर चुका है. आंदोलनकारी किसान 5 जून को भाजपा के सांसद और विधायकों के आवासों और दफ्तरों के बाहर तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर प्रदर्शन करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने यूपी गेट पर इस संबंध में समीक्षा भी कर चुके हैं.