एशिया का सबसे ख़तरनाक किला भानगढ़, जानिए इसकी असली कहानी, कौन थी रानी और कौन था वो जादूगर
भारत का इतिहास राजाओं और महाराजाओं की कहानियों से पटा पड़ा है। सिर्फ इतिहास ही नहीं बल्कि जमीन भी इन राजाओं के होने का सबूत देती है। देश में आपको कई सारे किल, पुराने महल देखने को मिल जाएंगे। यही कारण है कि, विदेशी पर्यटकों की भीड़ की भीड़ इन किलों के बारे में जानने के लिए उमड़ पड़ती है। लेकिन भारत में एक ऐसा किला भी मौजूद है। जहां पर भूत वास करते हैं और इस बात सिर्फ स्थानीय लोग ही नहीं बल्कि भारत सरकार खुद भी मानती है। और इस किले का नाम है भानगढ़ का किला। इस किले बाहर आपको साफ-साफ लिखा हुआ मिल जाएगा कि सूर्यास्त के समय यहां पर रूकना वर्जित है। और इसका काराण है इस किले में मौजूद भूत- प्रेत।
भारत का एक ऐसा किला, जहाँ प्रवेश करने वाले को पहले से ही चेतावनी दे दी जाती हो कि सूर्योदय के पहले और सूर्यास्त के पश्चात् इस किले के आस-पास भी न फटकें अन्यथा इस क्षेत्र में आप के साथ कुछ भी भयानक घट सकता है। माना जाता है की भानगढ़ के इस किले और आस-पास के क्षेत्र में भूत प्रेतों का बसेरा है।
भारतीय पुरातत्व विभाग ने इस खंडहर को संरक्षित कर दिया है। यहाँ पर महत्वपूर्ण बात ये है की वैसे तो पुरातत्व विभाग ने हर संरक्षित क्षेत्र में अपने ऑफिस बनवाये हैं लेकिन इस किले के संरक्षण के लिए पुरातत्व विभाग ने अपना ऑफिस भानगढ़ से कुछ किलोमीटर दूर बनवाया है।
कहा जाता है इस जगह पर एक राजकुमारी रहती थी जिसका नाम रत्नावती था। एक धूर्त जादूगर उसे अपनी पत्नी बनाना चाहता था। उसने कई बार राजकुमारी पर अपनी तंत्र विद्द्या चलाई और उसे काबू में करना चाहा।लेकिन राजकुमारी भी तंत्र विद्द्या की ज्ञाता थीं और उसने जादूगर के हर वार को विफल करके उसे हरा दिया और उसकी हत्या कर दी। मरते हुए जादूगर ने श्राप दिया कि ‘अगर मैं नहीं तो तुम भी नहीं और ना ही तुम्हारी यह प्रजा। ‘
कहा जाता है कि रातों -रात पूरी जगह खाली कर दी गई थी और अगले ही दिन एक भयंकर तूफ़ान ने पूरे शहर को तबाह कर डाला और इसके एक वर्ष बाद एक युद्ध में रत्नावती की मृत्यु हो गई। इस जगह पर अगर कोई स्थान आजतक सुरक्षित है तो वो है यहाँ पर स्तिथ मंदिर। लोग दिन के समय मंदिर में दर्शन करके आते हैं लेकिन अँधेरा होने के बाद कोई भी अंदर नहीं जाता है।