मोदी सरकार अपने ही बनाए सर्कुलर में फंस गयी, अब कैसे मिलेंगे मंत्रियों को अपनी पंसद के अधिकारी
मोदी सरकार ने अपनी दूसरी पारी शुरू कर दी है। मंत्रिमंडल का एलान हो चुका है। मंत्रियों को उनकी जिम्मेदारियां सौंपी जा चुकी हैं। सरकार के भीतर मंत्रियों के कामकाज को देखने वाले, मंत्रालय के कामो में हाथ बटाने वाले, उनके प्राइवेट सेक्रेटेरी और ओएसडी भी नज़र आएँगे। ये बात इतनी सीधी भी नहीं है। 2014 में जब मोदी सरकार सत्ता में आयी थी, उस वक्त उसने एक मेमोरेंडम (memorandum) जारी किया था।
इस सर्कुलर में लिखा था कि किसी भी मंत्री के साथ उनके प्राइवट सेक्रेटेरी या OSD 5 सालों से अधिक नहीं रह सकते। मोदी सरकार ने ये आदेश यूपीए सरकार के बाद जब वो खुद सत्ता मे आए तब जारी किया था | कहीं ना कहीं वजह ये थी कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में 10 साल से जो अधिकारी मंत्रालयों में बने हुए थे वो अपनी टर्म पूरी ना कर पाए और नए अधिकारियों को मौका मिल पाए | तुरंत ही मोदी सरकार के पहले टर्म में मंत्रियों के साथ नए चेहरे दिखाई देने लगे | इसमें सरकारी औऱ कॉरपोरेट सेक्टर से आए लोग भी थे | जिससे मंत्री अपने पसंद के उस व्यक्ति के साथ काम कर सकता है जिसके साथ उनका मेलजोल अच्छा है | लेकिन अब मोदी सरकार की दूसरी पारी शुरू हो चुकी है, और ऐसे में ज्यादतर मंत्री और उनके पसंदीदा अधिकारी साथ में काम करना चाहेंगे | जिसमें से कुछ मंत्रियों ने अपने अधिकारियों के पद बदल दिए हैं यानी के मोमेरेडम के मुताबिक वो उसी पद पर तो नहीं बने रह सकते लेकिन दूसरे पद पर काम कर सकते हैं | जैसे कि पहले मंत्री के साथ रहा ओएसडी अब एडवाइजर के तौर पर काम कर सकता है | ऐसे में कुछ अधिकारियों के लिए दुविधा ये बनी हुई है कि वो उस पद से नीचे आना चाहते हैं और ना ही उन्हें एडवाइजर का पद रास आ रहा है | तो जनाब इस स्थिति में उनके लिए एक रास्ता ये भी हो सकता है… ACC के मुताबिक बदलाव किए जा सकते हैं…. क्योंकि ACC कुछ खास मामलों में जरूरत के हिसाब से अधिकारियों की टर्म को बढ़ा सकता है लेकिन इस प्रक्रिया में 2 से 3 महीने तक लग सकते हैं | ACC के इस फैसले से ये परेशानी हल तो हो सकती है लेकिन लंबा वक्त अगर इसमें लगता है….तो मामला लटक भी सकता है | जो मोदी सरकार तेजी से काम करने का दावा करती है वो इसे जल्दी हल भी कर सकती है, और मंत्री अपने पसंदीदा अधिकारियों के साथ काम कर सकेंगे, और मंत्रियों ने इसपर अपनी कवायद भी शुरू कर दी है।
बदलाव की इसी प्रक्रिया पर अब कई मंत्रियों और अधिकारियों की नज़र बनी हुई है क्योंकि ज़्यादातर मंत्री अपने पिछले मंत्रालय में ही वापिस आ गए हैं। ऐसे में वे अपने पुराने अधिकारियो के साथ ही काम करना चाहते हैं। 2014 में मोदी सरकार द्वारा बनाया गया ये सर्कुलर अब मोदी सरकार के लिए ही मुश्किलें पैदा करता दिख रहा है|
विनीता यादव की रिपोर्ट